RAM NAVMI KI PUJA 2024
हिन्दू धर्मशास्त्र के
अनुसार भगवान राम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र व कर्क लग्न में हुआ
था.
२०२४
की नवमी तिथि
चैत्र मास की नवमी तिथि
का प्रारंभ १६. अप्रैल की दोपहर एक बजे से अगले दिन १७. अप्रैल के दोपहर तीन बजकर
चौदह मिनट तक रहेगी. चैत्र मास की महानवमी १७.अप्रिल को बड़े धूम धाम से मनायी
जाएगी.
पूजा
सामग्री व मंत्र
भगवान राम को पीला रंग
बहुत प्रिय है.
भक्त उन्हें पीले
वस्त्र, पीले फूल, पीला चन्दन अर्पित करें.
नाना प्रकार के नैवेद्य.
फल, फूल अर्पित करें. भोग में तुलसी पत्र रखें. अक्षत,कुमकुम, और गंगाजल से पूजन कर, आरती करें. छत पर पीली ध्वजा
लहराएं.
तत्पश्चात १०८ बार
निम्न मंत्र का जाप करें.
‘’ॐ
श्रीं ह्रीं क्लिं रामचंद्राये श्रीं नमः‘’
राम
नवमी के दिन राम कथा
सुनने और सुनाने का बड़ा ही महात्म्य है.
कथा इस प्रकार है__
अयोध्या के सूर्यवंशी राजा दशरथ की तीन
रानियाँ थी.
1. १. कौशल
2. २. केकई
3. ३. सुमित्रा
4. कौशल्या के पुत्र राम हुए,
केकयी के भरत. तीसरी रानी सुमित्रा के दो पुत्र हुए. लक्ष्मण और शत्रुध्न.
हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं.
राम
जब अपने चारों भाइयों के साथ गुरुकुल से शिक्षा ग्रहण कर के अयोध्या वापस आये तब
राजा दशरथ ने उसके राज्याभिषेक का ऐलान कर दिया.
पूरे
अयोध्या में जब जश्न का माहौल बन गया, तभी राजा की दूसरी रानी केकयी ने उससे अपनी वरदान
की बात कर दी.
एक
बार राजा दशरथ युद्ध के मैदान में बेहोश हो गये थे. उस समय रानी केकई उसके साथ थी.
रानी ने बड़ी बहादुरी से राजा को बचा कर रणभूमि से बाहर ले आयी थी. राजा केकई से प्रसन्न
होकर उसे दो वर मांगने को कहा था. तब रानी ने बाद में कह कर चुप हो गयी थी. यह बात
केकयी की दासी मंथरा को पता थी.
मंथरा
को जब राम के राज्याभिषेक की बात का पता चला तो उसे यह बात कांटे की तरह चुभ गयी.
वह
दौड़ी-दौड़ी रानी केकई के महल में पहुंची तो देखा रानी केकई ख़ुशी से पागल हुई जा रही
है. मंथरा के तन बदन में आग लग गयी. वह जल भुन कर रानी से कहा___
‘’तुम
एक माँ हो कर ऐसा किसे कर सकती हो?
तुम्हारा
बेटा अपने ननिहाल मैं है और इधर तुम्हारी सौत के बेटे का राज्याभिषेक होने जा
रहा है.’’
तब
रानी केकई फूली न समाती हुई कहा___’’मंथरा, मेरा राम राजा बनेगा. तुम भी नाचो गाओ.’’
मंथरा
और भी भड़क गयी. कहा __
‘’ये
क्यों नहीं सोचती हो कि तुम्हारी सौत कौशल्या, राजमाता बनेगी और तुम उसकी दासी.’’
सौत
औए दासी सब्द केकई क मन में चूभ गयी. रानी को चुप होते देख कर मंथरा ने कहा ___
‘’रानी!
यहीं समय है जब तुम राजा से अपनी दो वरदान मांग सकती हो?
पहला,
भरत को राज्य और दूसरा राम को चौदह बरस का बनवास.
रानी
केकयी पर मंथरा की बातों का बहुत असर पड़ा. वह कोप भवन में जा बैठी. राजा दथरथ
जब रानी को शुभ समाचार सुनाने आया तो रानी ने उससे भरत का राज्याभिषेक और राम को
चौदह बरस का वरदान मांग लिया. राजा ये बात सुनते ही मृत्यु शैया पर गिर गया.
राम
को जब इस बात का पता चाल तो वे तुरंत वन जाने के लिये वल्कल वस्त्र धारण कर
लिये. साथ में लक्ष्मण और सीता भी वन जाने को तैयार हो गये.
फोटो:गूगल
वन
में रावण ने सीता का हरण कर अपने सोने की लंका में ले गया.
राम
हनुमान और वानर सेना की मदद से रावण को मारकर सीता को वापस अयोध्या
ले आया.
श्रीराम
सुशासन, मर्यादित व्यवहार एवं सदाचार युक्त शासन के लिये माने जाते हैं. जिसको
आमभाषा में रामराज्य कहते हैं.
२२.जन.२०२४.
को उत्तर प्रदेश में अयोध्या में, जहाँ राम का जन्म स्थल है, राम के भव्य मंदिर
का देश के प्रधान
मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उद्घाटन हुआ.
आइये
जानें श्रीराम पर किन राशियों का विशेष प्रभाव रहता है.
वैसे
तो प्रभु राम का अपने भक्तों पर विशेष अनुग्रह होता है.लेकिन ये चार राशियों भगवान
राम बहुत प्रिय हैं
१.मीन
राशि
२.कर्क
राशि
३.वृषभ
राशि
४.तुला
राशि
इन
राशियों वाले जातकों को नवरात्री में राम नाम का जब करने से उनके सारे रुके हुए कार्य
पूर्ण होंगे.
रामनवमी
में दुर्गा देवी की पूजा क्यों होती है?
कहते
हैं कि जब राम-रावण युद्ध चल रहा था तब राम ने युद्ध में विजय पाने के लिये दुर्गा देवी की नौ रात्रि का अनुष्ठान किया था. नवें दिन दुर्गा देवी ने राम को प्रकट होकर विजय का आशीर्वाद दिया था.
भक्त
जन राम की पूजा के साथ ही दुर्गा देवी की भी पूजा अर्चना करते हैं, और नवें दिन
कन्या पूजन कर व्रत का समापन करते हैं.
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