नदी में रोमांस
__कभी शाम को ट्यूशन के बहाने हम नदी किनारे किसी पेड़ की झुकी डाल पर बैठ जाते थे. हमारे पैरों की छाया __बहते पानी में बहते नजर आते थे.
हम सिलसिलेवार बातें करते थे. कभी न खत्म होने वाली बातें.
___नदी हमारी रोमांस की बातें सुन सुन कर कल कल करती बहती थी.
___और नियति अपनी लेखनी से पानी में हमारा कल लिखती जाती थी.
___कल जो हमें कभी नहीं मिला.
___नदी के दो किनारे सागर तक गये और उसी राह से हम कब चलके अलग हो गये , हमारे कल ने हमें आगाह तक नहीं किया.
___नदी की कल कल बहती धारा हमारे रोमांस की कथा कहती सागर में लोप हो गयी थी।
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