नृत्य
"मन पात सा डोले भोर की बयार में
कैसे न मेरा पैर थिरके__?
थिरके मेरे संग जग के कण-कण
तू भी डोल ओ बन की प्रथम कली !!
किसके इशारे पर नृत्य ___
कर रही प्रकृति हर मौसम में ?
मदन की बाण चल रही
किस आम्रवन में____?
मन का कोयल कुहूक रहा
किसके मिलन की खुशी में__?
डोल सखी !
उषा के प्रांगन में
देवता के दिल में
दे थाप घुँघरू की___
रूनझून की____!!
जागे मंदिर के सुप्त देवता
जागे हर जड़ पदार्थ
तेरे नृत्य से
हे नृत्यांगना !!!
जागे जग के पात-पात।"
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