Who "कौन...?
मेरे पीछे...!!
मैं हर सुबह-शाम तेरी तलाश में आती हूँ..!!
हवा जाने क्या गुनगुनाता है..?
कुछ शब्दों के मकड़जाल में उलझ जाती हूँ..!
कितना सोचती हूँ..!
सोच-सोच कर दिमाग खाली हो जाता है।
एक शून्य बाहर और भीतर घिर आता है.!
एक अधूरापन..
मन को सालता है..!
मैं निकल आती हूँ उस क्षितिज की खोज में..!
कि शायद...
तुम मुझे मिल जाओ..!!"
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