'Every morning 🌄 हर सुबह....!
हवा में एक खुशबू आती है...!
ताज़े फूलों की...!
जो मेरे रंघ्रों से गुज़र कर...!
मेरे वजूद पर छा जाती है...!.
जब मैं हँसती हूँ...
मुस्काती हूँ सूर्यकिरणों के संग
तब-
अपनी राह भूल कर
तितलियों भी उड़्ती है...!
मेरे आसपास....!!
हवा में एक खुशबू आती है...!
ताज़े फूलों की...!
जो मेरे रंघ्रों से गुज़र कर...!
मेरे वजूद पर छा जाती है...!.
जब मैं हँसती हूँ...
मुस्काती हूँ सूर्यकिरणों के संग
तब-
अपनी राह भूल कर
तितलियों भी उड़्ती है...!
मेरे आसपास....!!
भँवरे ठिठक कर रूक जाते हैं...!
गुनगुनाते हैं....
रसीले गान...शहद में डूबे...!
लेकिन-
उसके हाव-भाव से
आती है सौदे की बू...!!
होती है शाम...!
लेकिन हवा में वह खूशबू नहीं होती...!
क्योंकि-
भँवरे और कुछ जंगली फूलों के-
होते हैं हवा में षड्यंत्र...!!
Every morning हर सुबह
एक लम्बा वक्त तय कर....!
मुझे होती है प्रतीक्षा....!
एक नयी सुबह की...!!.
Every morning हर सुबह
एक नयी सुबह की...!!.
Every morning हर सुबह
बदल जाती है
मेरी प्रतीक्षा कभी-
एक अंतहीन पीड़ा में-
निहारती है मेरी आँखें...
एक क्षितिज, झिलमिल
Every morning हर सुबह
एक अंतहीन पीड़ा में-
निहारती है मेरी आँखें...
एक क्षितिज, झिलमिल
Every morning हर सुबह
मेरे कदम चल पड़ते हैं...!
एक अंजान सफ़र की ओर...!
उस खूशबू की खोज में...
एक अंजान सफ़र की ओर...!
उस खूशबू की खोज में...
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