ग्रीष्म ॠतु में,
धरती की गर्म गोद में, किसान मेहनत और पसीना बहाते हैं।
ग्रीष्मकालिन फसलें लय में लहराते हैं।
पका हुआ उपज कटने को तैयार है।
जैसे___
गर्म हवा की खेतों में रहस्यमयी फुसफुसाहट है।
कटनी का समय है।
किसान ने जो बोया है, उसे काट रहे हैं।
इस धूप से चूमे हुए वातावरण में,
टोकरियाँ भरपूर मात्रा में ,
दिल उल्लास से भरे हैं,
धरती-आकाश सिम्फनी गाते हैं
जैसे__
प्रकृति के आहिस्ते चलने की आहट है।
खेतों में भुट्ठे के डंठल ऊँचे खड़े हैं,
उनके लटकन सुनहरे मुकुट से लगे हैं,
टमाटर लाल लाल हुए हैं,
कद्दू लेटी-लेटी आराम फरमा रही है।
जैसे __
सूरज की किरणों की खामोश सनसनाहट है।
सूरजमुखी के फूल सिर हिलाते हैं,
उनके चेहरे दिन का पता सबको देते हैं,
अपने रास्ते में पराग इकट्ठा करती हैं।
तोरी फैलती है, आसमान को छूती है,
जैसे__
मधुमक्खियों की फिज़ा में गुनगुनाहट हैं।
किसान अपने खजाने इकट्ठा करते हैं,
एक आभारी गीत गुनगुनाते हैं।
जैसे__
खलिहानों में श्रम और खुशी की गरमाहट है।
एक आभारी गीत गुनगुनाते हैं।
जैसे__
खलिहानों में श्रम और खुशी की गरमाहट है।