Lichee__ tropical and subtropical exotic fruits
Lichee _ जैसे नाम ही से पता चलता है कि इसका
इतिहास चीन से रहा होगा। बात सच है। ऐतिहासिक
रूप से, लीची की खेती 1050 ईस्वी से दक्षिणी चीन में की जाती रही है।
लोगों की मान्यता है कि लीची 2000 पूर्व से उगाया जाता रहा है।
हान राजवंश के दौरान चीनी शाही दरबार में लीची बहुत प्रिय थी।
Lichee को आनंदमय जीवन के लिए उपहार के रूप में लिया जाता था।
लीची चीनी व्यापारियों के जरिये हिंद महासागर के ट्रोपिकल देशों में पहुँचा।जैसै:-
मॉरिशस, रोड्रिक्स आइलेंड, रेनियन टापू, और मेडागास्कर।
लीची एक रसेदारफल है जो गुच्छों में लगती हैं। इसके पेड़ बहुत घने और बड़े होते हैं। यह पेड़ आनंद और समृद्धि का प्रतीक है। जिसके भी आंगन में लीची का पेड़ होता है उसे
गरीबी का श्राप नहीं लगती। हालांकि यह पेड़ बहुत नज़ाकत से पाले
इतिहास चीन से रहा होगा। बात सच है। ऐतिहासिक
रूप से, लीची की खेती 1050 ईस्वी से दक्षिणी चीन में की जाती रही है।
लोगों की मान्यता है कि लीची 2000 पूर्व से उगाया जाता रहा है।
हान राजवंश के दौरान चीनी शाही दरबार में लीची बहुत प्रिय थी।
Lichee को आनंदमय जीवन के लिए उपहार के रूप में लिया जाता था।
लीची चीनी व्यापारियों के जरिये हिंद महासागर के ट्रोपिकल देशों में पहुँचा।जैसै:-
मॉरिशस, रोड्रिक्स आइलेंड, रेनियन टापू, और मेडागास्कर।
लीची एक रसेदारफल है जो गुच्छों में लगती हैं। इसके पेड़ बहुत घने और बड़े होते हैं। यह पेड़ आनंद और समृद्धि का प्रतीक है। जिसके भी आंगन में लीची का पेड़ होता है उसे
गरीबी का श्राप नहीं लगती। हालांकि यह पेड़ बहुत नज़ाकत से पाले
जाते हैं।
Photo credit: Pinterest
Lichee कच्चे होने पर हरे होते हैं और पक जाने लाल हो जाते हैं।
वृक्षों पर पके लीची अनयास ही मन को अपनी ओर आकर्षित कर लेता हैं।
मॉरिशस के लीची बड़े शानदार होते हैं। वहां की जलवायु इसके अनुकूल होते हैं।
सरदी के अंत में पेड़ों पर फूल आने लगते हैं। गरमी की शुरुआत नवम्बर, डिसम्बर में मॉरिशस के बाज़ार पके लीचियों के गुच्छों से गुलज़ार हो
Lichee कच्चे होने पर हरे होते हैं और पक जाने लाल हो जाते हैं।
वृक्षों पर पके लीची अनयास ही मन को अपनी ओर आकर्षित कर लेता हैं।
मॉरिशस के लीची बड़े शानदार होते हैं। वहां की जलवायु इसके अनुकूल होते हैं।
सरदी के अंत में पेड़ों पर फूल आने लगते हैं। गरमी की शुरुआत नवम्बर, डिसम्बर में मॉरिशस के बाज़ार पके लीचियों के गुच्छों से गुलज़ार हो
जाते हैं।
नवम्बर, डिसम्बर इस के पीक सीज़न होते हैं। कहीं कहीं
जनवरी के मीड तक चल जाते हैं।
इसके विपरीत भारत के बाज़ार में लीची मई महिने के अंत और 15 जून तक लीची के दर्शन होना बंद हो जाता है।
लीची की खेती करना बहुत महंगा व्यवसाय होता है।
अगर बीज से लगाया जाए तो पांच से छ: साल के बाद ही फल देना शुरू होता है। जबकि कलम से लगाने पर साल के पहले सीजन में फल देने लगता हैं।
चूंकि लीची को आम की लरह तोड़कर नहीं पकाया
जाता हैं इसीलिए इसको पेड़ पर ही पकने दिया जाता है।
पके लीची को चमगादड़ों से बचाने के लिए पेड़ों पर जाले लगाए जाते हैं।
Lichee खाने से जहां स्वस्थ लाभ होता है तो दूसरी ओर अधिक खाने से शरीर में गरमी के कारण फोड़े फुंसी भी होने
लगते हैं।
Lichee की तासीर गरम होती हो। रसेदार और पके लीची
को बर्फ भरे ठंडे पानी में दो घंटे तक रख कर ही खाया जाता है।
Lichee एक लग्ज़री फल है जो बहुत कम समय में अपनी
छटा बिखेरती हो।
लीची का पेड़ घर के आंगन में लगाने से सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
Lichee का ठंडा शरबर पीने से शरीर में ताज़गी भर जाती है।
गरमी के मौसम में lichee delight का अपना अलग ही
राजसी ठाठ होता है।
आइये लीची डीलाइट बनाते हैं_
राजसी ठाठ होता है।
आइये लीची डीलाइट बनाते हैं_
Lichee delight recipe :-
एक कप लीची का रसेदार गूदा
एक कप बर्फ के टुकड़े
मीश्री
और soda water.
लीची का गूदा, बर्फ और मीश्री को एकसाथ blender में चला दें।
उसके बाद ठंडे सोडा पानी मिलाकर lichee delight का आनंद लें।
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