This blog contain Poems, entertainment, cool drinks, Travel destination,Nature and about psychological problems that a teenager faces in today's social setup,others topics like Personality and poetry ect.

गुरुवार, 16 मई 2024

Aurora: Mysterious Wonder of Nature

 Aurora: Mysterious Wonder of Nature.

अर्थात्:  एक रहस्यमय प्राकृतिक आश्चर्य। 

Photo Credit:Pexels

ऑरोरा को हम ध्रुवीय ज्योतिपुंज के नाम से जानते हैं, यह पृथ्वी के आकाश में एक प्राकृतिक घटना है। एक ऐसी घटना जिसे हम रंगीन प्रकाश के रूप में खुली आंखों से देख सकते हैं।

यह मुख्य रूप से High Latitude क्षेत्रों में____Arctic और Antarctica के आसपास देखा जाता है।

उत्तरी ध्रुव में Northern Lights को Aurora Borealis 

कहते हैं।

दक्षिणी ध्रुव में Southern Lights, Aurora Australis के नाम से जाना जाता है।

ऑरोरा एक शानदार गतिशील पर्दे की तरह विविध रंगों में झिलमिलाता है। यह विभिन्न प्रकार का सर्पीला आकार बनाता हुआ  पूरे आकाश को ढक लेता है।

हाल ही में (10th of May 2024 ) LADAKH के आकाश में यह अजूबा दिखाई दिया।

Solar Storm lights___Ladakh/(PTI PHOTO) 

(Indian Astronomical Observatory __HANLE)

Aurora Borealis पहली बार भारत के Ladakh के आकाश में

सरस्वती पर्वत के ऊपर स्थिर रूप में दिखा।

एक इंजीनियर दोरजे अंगचुक ने इस दृश्य को aurora red arc के रूप में वर्णन किया है। 

कहते हैं __"यह लद्दाख के आसमान में एक दुर्लभ घटना है।"

पृथ्वी का Magnetic Field 

हमारी पृथ्वी साढ़े 23° सूर्य की तरफ झुककर घूमती है। इसके घूमने से Magnetic Field पैदा होती है।

Solar Flares जब उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव की ओर पहुंचता

हैं तब चमक पैदा होती है।

सौर ज्वालाएं (Solar Flares) सूरज पर होने वाले भयंकर विस्फोट हैं जो अत्यधिक ऊर्जा के साथ उच्च गति के कणों को अंतरिक्ष में भेजते हैं।

ये ज्वालाएं अक्सर सौर चुम्बकीय तूफानों से जुड़ी रहती है, जिन्हें

(Coronal mass ejection) CME के रूप में जाना जाता है।

Aurora का कोई मौसम नहीं होता है।  सूरज लगातार  बहुत ऊर्जा और छोटे कण (electron-Proton) पृथ्वी की ओर भेजता रहता है।

पृथ्वी का अपना एक परिमंडल है। इसके चारों ओर का सुरक्षात्मक चुम्बकीय क्षेत्र हमें अधिकांश ऊर्जा और कणों से बचाता है।

सूर्य हर समय समान मात्रा में ऊर्जा नहीं भेजता क्योंकि वहां 

सौर हवाएं (Solar Winds) चलते रहते हैं। सौर तूफान के दौरान 

जिसे (coronal mass ejection) भी कहा जाता है। 

सूर्य की सतह से विद्युतीकृत गैस का एक बड़ा गोला फूटता है जो तेज़ उऔगति से अंतरिक्ष में यात्रा करता है।

जब कोई सौर तूफान पृथ्वी की ओर आता है तो कुछ ऊर्जा और छोटे कण उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों पर चुम्बकीय रेखाओं से नीचे पृथ्वी के वायुमंडल से जा टकराता है। इसके फलस्वरूप इन कणों के गैसों के संपर्क में आते ही आकाश में तेज रोशनी का सुंदर प्रदर्शन होता है।

Oxygen से हरी और लाल रोशनी निकलती है।

Nitrogen नीला और बैंगनी रंग बीखेरता है।

अधिक लाल रंग सर्वाधिक ऊँचाई पर दिखाई देता है। हरा रंग उससे

नीचे, और सबसे नीचे की ओर नीला रंग दिखता है।

पराबैगनी विकिरण विशेष उपकरण द्वारा ही दृष्टिगत होती है।

नीला और गुलाबी रंग का ऑरोरा पृथ्वी के भूचुम्बकीय क्षेत्र में नाइट्रोजन के अणुओं की उपस्थिती के कारण होता है।

प्रकृति की यह  जादुई रोशनी  North Sweden के Abisko नाम के एक गांव से सबसे अच्छा दिखती है। इस गांव में स्थित 43 मील लम्बी झील (Tornetrask lake) के कारण वहां की जलवायु अन्य जगहों से एकदम अलग है।
ICELAND में समुद्र तट पर्यटकों को ऑरोरा का अद्भुत दृश्य दिखाता है।
Photo credit:Pexel

Russia/Siberia/Alaska इत्यादि जगहों पर उत्तरी रोशनी का नज़ारा देखा जा सकता है।

विशेष: इस जादुई प्रकाश को देखने के लिए रात का अंधेरा होना जरूरी है। शरद ऋतु और वसंत का मौसम सबसे अच्छा है।

AURORA के बारे में मीथक।

लैटिन में ऑरोरा का मतलब  है भोर।

यह एक रहस्यमय और रोमांटिक नाम है जो रोमन भाषा में भोर की देवी को कहा गया है। यह देवी नित नयेपन और प्रेम का प्रतीक है।

वह हर सुबह नयी नवेली बन कर घोड़ों से सजे रथ पर सूर्य के आगमन का संदेश देती है।


हिन्दू धर्म के अनुसार अरुणिमा या उषा भोर की देवी है जो भूलोक को सूर्य के आगमन की सूचना देती है।

विभिन्न धर्म के साहित्यकारों ने भोर की बेला का बहुत गुणगान किया है। ऑरोरा को ऊर्जा का प्रतीक माना गया है।

अंग्रेज़ कवयित्री Emily Dickinson की एक सुंदर कविता प्रस्तुत है___

'Let me not Mar that Perfect Dream

By an Auroral strain

But so adjust my daily Night

That it will come again'.

Photo:Antarctica/मैत्री स्टेशन 


इस ऑरोरा की सुंदरता वैज्ञानिक को भी अनायास कवि बना देती है।

Antarctica में एक भारतीय अभियान के दौरान भूवैज्ञानिक रविन्द्र कुमार सिंह की पंक्तियां देखिये -

'यह क्या इन्द्रधनुष सा नभ में छाया

नहीं इन्द्रधनुष इतना चपल

नहीं नहीं मेहेंदी रंजित सुकुमार हथेली

नहीं नहीं उनका यह लहराता आँचल'

प्रेरणास्रोत: https://www.livescience.com







कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Eclipse,EarthDay

Breastfeeding week

                                                                           Breastfeeding Week                     LogoWBW2024 Cedit: Google ...