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शुक्रवार, 31 मई 2024

SWAMI VIVEKANAND ROCK MEMORIAL

 Swami Vivekanand Rock Memorial

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Photo Credit :Pinterest 

Kanyakumari, Tamil Nadu, South India.


KANYAKUMARI जिसे Cape of Comorin से भी जाना जाता है।
यह प्रायद्विपीय (Peninsular)भारत के दक्षिणी छोर पर है।
KANYAKUMARI तीन समुद्रों का मिलन बिंदु है।
( अरब सागर, हिन्द महासागर, बंगाल की खाड़ी)
इस स्थान को त्रिवेणी का संगम कहा जाता है।
KANYAKUMARI का मुख्य आकर्षण समुद्र में दो जुड़वां चट्टानें हैं (twin rocks)हैं।
यहां की चट्टानें लक्षद्वीप सागर से घिरी हुई है। यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत रंगों का मिश्रण है। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त  जैसे जीवन और मृत्यु का अमर संदेश देता हो।
यह चट्टानें भूमि-तट से लगभग 500mtrs की दूरी पर है।
एक चट्टान Swami Vivekananda Memorial Rock
के नाम समर्पित है और दूसरी चट्टान पर अमर कवि
तिरूवल्लुवर की 95फीट प्रतिमा अपनी पूरी गरिमा के साथ
स्थित है।

Vivekanand Rock Memorial


स्वामी विवेकानंद का संक्षिप्त परिचय

4July 1902 को उन्होंने महासमाधि धारण कर महाप्रयाण की यात्रा पर चल दिए थे।
उनकी आयु तब मात्र 39 वर्ष की थी। उनकी समाधि हावड़ा में हुबली नदी के तट पर बेलूर मठ में है।
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12Jan, 1863 को हुआ था।
उनका मूल नाम था- नरेंद्रनाथ दत्त।
उनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त और माता का नाम
भुवनेवश्वरी था।
स्वामी विवेकानंद की शिक्षा ईश्वरचंद्र विद्यासागर के मेट्रोपॉलिटन इंस्टीट्यूट में हुई थी।
उनकी शिक्षा का मुख्य विषय संगीत,साहित्य और दर्शन था।
1893 में आयोजित विश्व धर्म  महासभा में भारत की ओर से अमेरिका (शिकागो में) वे सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किये थे।

1897 में 1rst मई को उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी।
उन्होंने अपना पूरा जीवन अपने गुरूदेव रामकृष्ण परमहंस को समर्पित कर चुके थे।
Swami Vivekanand की वक्तृता के कारण ही अमेरिका और यूरोप में भारत की आध्यात्मिकता और वेदान्त दर्शन पहुंचा।
1892 में स्वामी विवेकानंद कन्याकुमारी आये थे। इस जगह से अभिभूत होकर वे कन्याकुमारी के तट से तैर कर
(Twin rock) तक पहुँचे थे।
स्वामी विवेकानंद तीन दिन और तीन रात टापू के चट्टान पर बैठकर ध्यान लगाए थे। वही से उनको जीवन का लक्ष्य और लक्ष्य की प्रप्ति का ज्ञान प्राप्त हुआ था।

इस स्थान को (श्रीपद पराई ) के नाम से जाना जाता है और इसको बहुत पवित्र माना जाता है क्योंकि प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इसी स्थान पर (पार्वती) कन्याकुमारी ने तपस्या की थी।
1963 में स्वामी विवेकानंद की जन्म शताब्दी के शुभ अवसर पर  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) कार्यकर्ता
एकनाथ रानाडे की देखरेख में Vivekanand Rock Memorial कमेटी ने यह स्मारक बनवाया था।
2nd Sep,1970 को भारत के तत्कालीन
राष्ट्रपति डा. वी. वी. गिरी ने तमिलनाडु के तत्कालीन्
मुख्यमंत्री करुणानिधि की अध्यक्षता में आयोजित एक विशाल समारोह में Vivekanand Rock का उद्घाटन हुआ था।
Swami Vivekanand के अनमोल विचार:-


• उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।

• ब्रह्मांड की सभी शक्तियां हमारे अंदर हैं। यह हम ही है जिन्होंने अपनी आंखों के सामने हाथ रखा है और रोते हुए कहा कि अंधेरा है।
• पढने के लिए  जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान, ध्यान से ही हम इंद्रियों र संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते हैं।
विशेष:-
ज्ञात हो कि Youth Day 1984 में UNO ने अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस मनाने की घोषणा की थी। बाद में हर साल
12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती पर राष्ट्रीय युवा
दिवस मनाने का निर्णय भारत सरकार ने लिया।










बुधवार, 29 मई 2024

POPE FRANCIS

 POPE FRANCIS का कभी भी किसी का अपमान करने का इरादा नहीं था: ''चर्च में सभी के लिए जगह है''

Photo Credit: Wikipedia 

Vatican के प्रवक्ता माटेओ ब्रूनी ने कहा।
वास्तव में 20 मई की एक घटना समलैंगिकों को लेकर हुई थी। पोप फ्रांसिस पर आरोप था कि उन्होंने एक आपत्तिजनक शब्द कह दिये थे।
जबकि 2013 में POP FRANCIS ने अपने एक भाषण में कहा था___"अगर कोई  व्यक्ति समलैंगिक है और ईश्वर की शरण में आना चाहता है तो ये ईश्वर की मर्जी है और मैं इसका फैसला करने वाला कौन होता हूं।"
आइये जाने POP FRANCIS का संक्षिप्त परिचय।
• POP Francis का जन्म 17 दिसंबर, 1936,Buenos Aires,Argentina में हुआ था।
• POP FRANCIS कैथोलिक चर्च के पोप और प्रमुख, रोम के बिशप और वेटिकन सिटी स्टेट के संप्रभु हैं।
• वह सोसाइटी ऑफ जीसस (Jesuits) के सदस्य बनने वाले पहले पोप हैं।
• अमेरिका और दक्षिणी गोलार्ध से पहले हैं, और सीरियाई पोप ग्रेगरी III की 8वीं सदी की पोपसी के बाद से यूरोप के बाहर जन्मे या पले-बढ़े पहले व्यक्ति हैं।
• उनका मूल नाम Jorge Mario Bergoglio है।
POP FRANCIS वह नेता हैं जिन्होंने 2013 में पोप चुने जाने पर रोमन कैथोलिक चर्च के एक नए युग का प्ररम्भ किया।
• Bergoglio अर्जेंटीना में Italian immigrants के बेटे थे। वे रासायनिक तकनीशियन बनने के लिए हाई स्कूल में अध्ययन करने के बाद,  कुछ समय के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में काम किये।
•  जब वह लगभग 21 वर्ष के थे, तब उन्हें निमोनिया का गंभीर दौरा पड़ा, जिसके कारण उनके दाहिने फेफड़े का हिस्सा निकालना पड़ा।
• उन्होंने 1958 में जेसुइट नवप्रवर्तन में प्रवेश लिया और फिर शिक्षाविदों की ओर रुख किया।

•  Santiago, Chile  में मानविकी का अध्ययन किया और ब्यूनस आयर्स Buenos Aires प्रांत में दर्शनशास्त्र में लाइसेंसिएट (मास्टर डिग्री के समकक्ष) अर्जित किया।
• स्नातक होने के बाद उन्होंने धर्मशास्त्र में डिग्री हासिल करने के दौरान हाई स्कूल में साहित्य और मनोविज्ञान पढ़ाया।
1969 में उन्हें एक Priestनियुक्त किया गया.
• 1973 में उन्होंने जेसुइट आदेश में अपनी अंतिम प्रतिज्ञा ली और बाद में अर्जेंटीना के जेसुइट प्रांत के सुपीरियर (प्रमुख) के रूप में कार्य किया (1973-79)

दिसंबर 2023 में वेटिकन ने सैद्धांतिक घोषणा Fiducia Supplcatans(“प्रार्थना ट्रस्ट”) जारी की, जिसमें घोषणा की गई कि फ्रांसिस ने समान-लिंग वाले जोड़ों को इस शर्त के साथ औपचारिक रूप से आशीर्वाद देने की मंजूरी दी है कि इस तरह के आशीर्वाद को अनुष्ठानों या पूजा-पाठ के दौरान नहीं दिया जाएगा।
• दस्तावेज़ ने चर्च के सिद्धांत को भी दोहराया कि विवाह एक पुरुष और एक महिला के बीच का मिलन है।

• उसी महीने फ्रांसिस ने एक साक्षात्कार में अपनी योजना साझा की कि उनकी मृत्यु के बाद उन्हें Vatican के बजाय सांता मारिया मैगीगोर के बेसिलिका में दफनाया जाए।

यह निर्णय वर्जिन मैरी के प्रति उनकी भक्ति से उत्पन्न हुआ था।
1669 के बाद से वे सांता मारिया मैगीगोर में दफन होने वाले पहले पोप होंगे।
POP FRANCIS सुधार की विशिष्ट विरासत का एक और संकेत जो उन्हें महान् बनाते हैं।

पश्चिमी गोलार्ध के पहले पोप, दक्षिण अमेरिका के पहले और जेसुइट आदेश के पहले पोप के रूप में,
POP FRANCIS ने चर्च में कई सुधार किए और विनम्रता की प्रतिष्ठा बनाई।
उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धियों में पोप का विश्वपत्र लौडाटो सी’ (“स्तुति हो आपकी”; 2015) शामिल है, जिसने जलवायु संकट को संबोधित किया और पर्यावरण संरक्षण की वकालत की.
कैथोलिक, गैर-कैथोलिक और गैर-ईसाइयों के बीच एकता को बढ़ावा देने के उनके प्रयास सराहनीय है।
"We must restore hope to young people,
Help the old,
Be open to the future,
Spread love,
Be poor among the poor."
__Pope Francis.
































































मंगलवार, 28 मई 2024

MEMORIAL DAY

 Memorial Day को डेकोरेशन डे कहा जाता है।

Photo Credit: Pexels-Media


ये उन लोगों की याद का दिन है जो संयुक्त राज्य अमेरिका की सेवा में मारे गए हैं।
•  मई 1966 में, राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने एक कदम उठाया और आधिकारिक तौर पर वाटरलू एन.वाई. को मेमोरियल डे का जन्मस्थान घोषित किया।
Memorial day  __जब 1865 में गृह युद्ध  समाप्त हुआ तब शहीदों को सम्मान में यह दिन  रखा गया।
• 5 मई 1868 को, जनरल जॉन लोगन जो गणतंत्र की ग्रैंड आर्मी के राष्ट्रीय कमांडर थे, ने आधिकारिक तौर पर अपने जनरल ऑर्डर नंबर 11 में Memorial day की घोषणा की।
• 30th May,1868 को उन शहीदों के कब्रों पर फूल  चढ़ाने और सजाने के उद्देश्य से नामित किया गयाजो विद्रोह के दौरान अपने देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए  थे।
• चूंकि Memorial Day किसी विशेष लड़ाई की पुण्य  तिथि नहीं थी इसलिए General James Garfield ने अपने ऐतिहासिक में इस दिन को Decoration Day के नाम से नवाज़ा।

• प्रथम डेकोरेशन दिवस पर, 5,000 प्रतिभागियों ने Arlington Cemetery में दफनाए गए 20,000 Union and Confederate soldiers  की कब्रों को सजाया.

• न्यूयॉर्क 1873 में आधिकारिक तौर पर इस Memorial Day को छुट्टी को मान्यता देने वाला पहला राज्य था।

1890 तक सभी उत्तरी राज्यों ने इस  दिन को मान्यता दे दी थी। दूसरी ओर, दक्षिण ने इस दिन को मान्यता देने से इनकार कर दिया और अपने शहीदों को अलग-अलग दिनों पर सम्मानित किया।
यह प्रक्रिया प्रथम विश्व युद्ध के बाद तक चलता रहा जब छुट्टी सिर्फ़ उन लोगों को सम्मानित करने से बदल गई जो गृहयुद्ध में लड़ते हुए मारे गए थे।
Photo Credit:Pexels-Media

1971 के राष्ट्रीय अवकाश अधिनियम (पी.एल. 90 - 363) के कांग्रेस द्वारा पारित होने के बाद, अब यह दिन लगभग हर राज्य में मई के अंतिम सोमवार को मनाया जाता है।इससे संघीय छुट्टियों के लिए तीन दिन का सप्ताहांत (मेमोरियल डे वीकेंड) सुनिश्चित करने में मदद मिली। 
इसके अलावा, कई दक्षिणी राज्यों में कॉन्फेडरेट युद्ध में मारे गए लोगों के सम्मान के लिए एक अलग दिन भी है:-
टेक्सास में 19 जनवरी;  अलबामा, फ्लोरिडा, जॉर्जिया और मिसिसिपी में 26 अप्रैल;  दक्षिण कैरोलिना में 10 मई;  और लुइसियाना और टेनेसी में 3 जून (जेफरसन डेविस का जन्मदिन)।

Memorial Day का इतिहास और अर्थ: लाल पोपी

1915 में, "इन फ़्लैंडर्स फ़ील्ड्स" कविता से प्रेरित होकर, मोइना माइकल ने अपनी कविता के साथ उत्तर दिया:

"हम भी उस लाल पोपी को संजोते हैं जो उन खेतों में उगती है जहाँ वीरता ने नेतृत्व किया, यह आसमान को संकेत देता है कि नायकों का खून कभी नहीं मरता।"

History and the Meaning of Memorial Day: Red Poppies

In 1915, inspired by the poem __“In Flanders Fields,” Moina Michael replied with her own poem:

"We cherish too,
the Poppy red
That grows on fields
where valor led,
It seems to signal to the skies
That blood of heroes never dies."

विशेष: Memorial Day को आंशिक रूप से राष्ट्रीय स्मरण दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो सभी अमेरिकियों को दोपहर 3 बजे मौन रहने के लिए प्रोत्साहित करता है।



सोमवार, 27 मई 2024

Cannes Films festival winner/'All we imagine as light'

 अंत भला तो सब भला

CANNES FESTIVALS  2024भारतीय फिल्म विजेता पायल कपाड़िया आजकल  खूब चर्चा में है।
उसकी लिखी और निर्देशित फिल्म  (All we imagine as light) खूब limelight बटोर रही है।



चलो देखें  ऐसा क्यों है?
सोशल मीडिया में ऐसा बहुत सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों इतने देर से अर्थात् 30 साल के बाद Cannes Festivals की नज़र में भारतीय फिल्म आयी।

ज्ञात हो कि भारतीय सिनेमा मण्डप ने 1946 में  Cannes Films Festival  में अपनी पहचान एक सामाजिक यथार्थ वादी फिल्म (नीचा नगर ) Grand Prix du Festival International du Film हासिल होने वाली पहली भारतीय फिल्म से अपनी पहचान बनाई।
(नीचा नगर ) का निर्देशन चेतन आनंद ने किया था।


नीचा नगर की कहानी में कैसे एक बड़ा आदमी गरीबों को, एक तरफ गंदे पानी पीने पर मजबूर करता है। गरीब लोग जब बीमार होकर अस्पताल जाते हैं तो वह उन लोगों की मदद करके भगवान का दर्जा पाता है । लेकिन एक चरखा कातने और गांधी टोपी पहनने वाला आदमी उससे भीड़ जाता है।
दूसरी बार 1956 में सत्यजीत राय की 'पाथेर पांचाली' को यह पुरस्कार मिला।



1994  में (स्वाहम) मलयालम फिल्म  Cannes Films Festivals में आमंत्रित किया गया था।
उसके बाद से जैसे सन्नाटा सा छा गया। अब सवाल उठता हैं कि क्या भारतीय फिल्म कान्स महोत्सव में जाने के लायक नहीं थे?
इन तीस सालों के दौरान कितनी अच्छी अच्छी पिक्चर बनी। कितनी संवेदनशील टॉपिक पर पिक्चर बनी।
आगे बढ़ने से पहले पंचतंत्र की एक कथा का जिक्र करना एकदम प्रसंग के अनुकूलन है।
शशक और खरगोश की दौड़।
शशक अर्थात् खरगोश जो बहुत चंचल और र दौड़ने में बहुत  तेज़ होता है। जब वह दौड़ता है तब उसे किसी की परवाह नहीं होता। शिकारी कहां घात लगाए बैठा है उसे नज़र नहीं आता। वह थककर जैसे ही बिल की तरफ जाता है शिकारी उसे दबोच लेता है। इसके विपरीत कछुआ अपने धीमी चाल से चलता है। रास्ते में आशंका देखकर सिमटकर पत्थर बन जाता है।शिकारी की नज़र न आते वह अपने गन्तव्य तक पहुंच  जाता है।
ऐसा नहीं कि Cannes Films Festival  में  भारतीय फिल्म नहीं पहुंचती थी लेकिन किसी का रिकार्ड तोड़ना शायद इतना आसान नहीं था।
इस बार  पायल कपाड़िया ने तीस साल का वह रिकॉर्ड तोड़कर Palm d'or अपने कब्जे में आखिर कर ही लिया।

मुंबई में प्रभा नाम की एक नर्स अपनी दिनचर्या में उथल-पुथल तब मच जाती है जब उसे अपने अलग हुए पति से एक ricecooker उपहार मिलता है। उसकी छोटी रूममेट अनु अपने बॉयफ्रेंड के साथ अंतरंग होने के लिए शहर में जगह खोजने की कोशिश करती है, लेकिन बम्बई जैसे शहर में वह नाकाम रहती है। तमाम उल्झनों के बावजूद वे समुद्र तट पर एक शहर की यात्रा में उन्हें अपनी इच्छाओं को प्रकट करने के लिए एक जगह खोजने का मौका देती है।
शहर की आपाधापी में कैसे तीन महिलाएं संघर्ष करती हुई  सुकून के दो पल की तलाश में रहती है।
ऐसी मार्मिक कहानी Cannes Films Festival  में दिखाने के बाद आठ मिनट तक ताली बजती रही। यही बात फिल्म की सफलता की  सबसे बड़ी उपलब्धि थी।
आशा ने आने वाले दौर में भारतीय मण्डप ऐसे ही मार्मिक फिल्मों को प्रस्तुत करती रहेगी।
इसीलिए कहते हैं__  "अंत भला तो सब भला"।




रविवार, 26 मई 2024

PLANETARY ALIGNMENT-June 2024

 Planetary Alignment अर्थात्  ग्रहों का संरेखण



• संरेखण किसे कहते हैं ?


एक ही रेखा में किसी भी वस्तु  को एक सीधी रेखा में होना या आना। इस प्रक्रिया को संरेखण कहते हैं। अगर गणितीय भाषा में समझें तो किसी भी System चार संरेखण होते हैं।
Left, right ,proper और center.
__जैसे किसी भी गाड़ी का  servicing करने से अंत में उसके पहिये की दूरी का संरेखण (alignments) करते हैं जिससे पहिये का संरेखण ठीक हो और सही दिशा में चले।

__अब जानें ग्रहों का संरेखण क्यों होता है ?
अंतरिक्ष में जो ग्रह (Planet) है सब अलग-अगल गति और दूरी से सूरज की परिक्रमण  करते हैं।
__अंतरिक्ष में 1000 एक अजीब संयोग बनने जा रहा है।
__3 June 2024 को लोग छः ग्रहों को एक Line में देख सकेंगे।


संरेखित ग्रह का नाम इस प्रकार हैं-
1.बुध (Mercury), 2.मंगल (Mars),
3.बृहस्पति (Jupiter), 4.शनि ( Saturn)
5. यूरेनस (Uranus) 6.नेप्च्यून (Neptune)

चित्र: vajiramandravi.com के सौजन्य से

*ज्ञात हो कि ऊँच शक्ति वाली दूरबीन हे ही देखा जा सकता है। वास्तव में ग्रहों का संरेखण अति दूर से एक झिलमिल परिदृश्य है।
अंतरिक्ष में तरह-तरह की धटनाएं धटित होती रहती है।
हम पुराण कथाओं में पढ़ते आए हैं कि फलां ग्रह में ऐसा हुआ, फलां ग्रह मेंज वैसा हुआ। लेकिन अंतरिक्ष का समुचित ज्ञान न होने के कारण हमारे लिए पुराण की कथाएं
महज एक मनोरंन के साधन बनके रह गए हैं।
आज डिज़िटल की क्रांतिकारी युग में हमें Internet के जरिए घर बैठे सब प्रकार का ज्ञान प्राप्त हो जाता है।
मैं नेट ही  https://www.providencejournal.com/digital magazine में पढ़ा था कि 3rd June 2024 को अंतरिक्ष में ग्रहों का संरेखण (Planetary Alignment) होने वाला है।

चूंकि मेरा प्रिय Subject है मैं ने पूरा लेख पढ़ा। लेख बहुत ही दिलचस्प है।
ग्रह संरेखण से संबंधित शिव पुराण में कथा हो-
भगवान शिव का ज्येष्ठ पुत्र  स्वामी कार्तिकेय, तारकासुर नामक राक्षस को वध कर दिया था।
तारकासुर के तीनों पुत्रों  ने प्रण किया कि वे अपने पिता का बदला जरूर लेंगे।
वे एक हज़ार वर्ष तक ब्रम्हा की तपस्या की। ब्रम्हा प्रसन्न होकर उनसे वर मांगने को कहा।
वे अमर होने का वरदान मांगे।ब्रम्हा ने कहा-
"ये प्रकृति के खिलाफ है। तुम लोग कोई और वरदान मांगो।"
तब तीनों भाइयों ने मांगा-
"हमारे लिए अलग-अगल  ग्रहों में एक एक महल बनवाईये। हम उसी में वास करेंगे, लेकिन ग्रह लगातार चलायमान होनी चाहिए। जब एक हज़ार साल बाद हमारे ग्रह का संरेखण होगा तब अगर किसी देवता में सामर्थ्य हो तो वे एक ही बाण से तीनों लोकों को छेद सकते हैं।"
ब्ररहम्हा ने अस्तु कहा और अंतर्धान हो गये।
तीनों भाई बहुत खुश हुए क्यों कि उनकी समझ में यह काम बहुत बड़ा ( task) था और असम्भव था।
ब्रम्हा ने मयदानव को आदेश दिया कि तुम तीनों भाइयों के लिए  अलग-अगल ग्रह में सोने,चांदी और लोहे के महल बनवा दो
मयदानव ने सबसे बड़े (तारकक्ष) के लिए सोने का,
मझले(कमलाक्ष) का चांदी का और सबसे छोटे
(बिद्युन्माली) का लोहे का महल बना दिया।
तीन भाई अपने अपने लोक में रहकर उत्पात मचाने लगे। देवताओं को तरह-तरह के कष्ट पहुँचाते । तीनों लोकों को अपने अधिकार में कर लिये।
देवता हैरार परेशान शिव जी के शरण में गये और अपनी विवशता सुनाए।

शिव जी को ग्रहों के संरेखण का ज्ञान। उन्होंने देवताओं को आश्वासन दिये और निश्चित समय का इंतजार करने लगे।
शिव ने एक दिव्य  रथ का निर्माण किया।रथ की हर एक वस्तु देवताओं से बनी।
सूर्य और चंद्र रथ के पहिये बने।




रथ के घोड़े क्रम से इंद्रदेव, वरुण देव,यमराज, कुबेर बने।
हिमालय धनुष और शेषनाग प्रत्यंचा बने।
शिव स्वयं बाण बने। तीनों भाइयों के साथ  घोर युद्ध हुआ।
आखिर एक तीन तीनों भाइयों का ग्रह एक सीध में रेख में गा गये।
शिव जी ने एक ही बाण से नीनों को छेद दिया।

कभी कभी कहानी-कथा हकीकत की दुनीया से कैसे मेल खाते हैं।
अधिक जानकारी के लिए hindi.webdunia.com  में जाएं।













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शनिवार, 25 मई 2024

NAUTAPA 2024 प्रकोप से सावधान

 

NAUTAPA 2024 प्रकोप से सावधान!

•  ज्योतिष गणना के अनुसार 24 मई की मध्यरात्रि के बाद 3.15 बजे सूर्य कृतिका नक्षत्र से निकल कर रोहिणी प्रवेश करेंगे।
•  नौतपा का प्रकोप 25 मई 2024 से लेकर 1 जून 2024 तक रहेगा।
इन दिनों सूर्य की किरणें धरती के अधिक नज़दीक आ जाती है।
*कभी कभी प्रकृति धरती सूर्य की कठिन ताप सहकर भी ऊर्वरा बनने में कोई कसर नहीं छोड़ती।
• नौतपा कृषि के लिए अच्छी वर्षा लाती है।


अब आइए जानें नौतपा क्या बला है।
ज्योतिष गणना की बड़ी-बड़ी बातें न कर के जाने साधारण शब्दों में नौतपा का मतलब क्या होता है।
ज्येष्ठ मास के लगते ही जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तब नौतपा लग जाता है।
(नौतपा- नाप से ही पता चलता है 9 दिनों की गरमी)
ज्योतिष मत के अनुसार सूर्य जितने दिन रोहिणी में रहता है उतने दिन पृथ्वी पर भीषण गरमी का एहसास होता है।
इसी अवधि को नौतपा या नौताप के नाम से जाना जाता है।

यों तो सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों के लिए आता है लेकिन शुरूआत के नौ दिनों में भीषण गरमी का प्रकोप होता है।

*चलिए ज़रा नक्षत्रों की सैर करते हैं।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तारा समूह को नक्षत्र कहा जाता है। नक्षत्र 27 होते हैं। उनके नाम क्रम से इस प्रकार है -
1.अश्विनी, 2.भरणी,3.कृत्तिका, 4.रोहिणी,5.मृगशिरा,
6.आर्द्रा, 7.पुनर्वसु, 8.पुष्य, 9.आश्लेषा, 10.मघा,
11.पूर्वाफाल्गुनी, 12.उत्तराफाल्गुनी, 13.हस्त,
14.चित्रा, 15.स्वाति, 16.विशाखा, 17.अनुराधा,
18.ज्येष्ठा, 19.मूल, 20.पूर्वाषाढ़ा, 21.उत्तराषाढ़ा,
22. श्रवण,  23.घनिष्ठा, 24.शतभिषा,
25.पूर्वाभाद्रपद, 26. उत्तराभाद्रपद,
27.रेवती नक्षत्र।
(पौराणिक मान्यताओं के अनुसार 26 नक्षत्र  प्रजापति की
पुत्रियां मानी जाती है।)
*ज्योतिष गणना के लिए 12 राशियां होती है, 27 नक्षत्र, 
और नौ ग्रह होते हैं। जिनमें सूर्य  प्रमुख ग्रह माना जाता है।
*सूर्य  सौर मण्डल की आत्मा मानी जाती है।

Photo credit:Pexel

• सूर्य एक नक्षत्र में कितने दिन रहता है?
'निदान सूत्र ' के अनुसार सूर्य वर्ष में 360 दिन गिने गये हैं।
इस गणना से सूर्य को एक नक्षत्र में 13 दिन बिताना है।
• विंशोत्तरी दशा प्रणाली एक सार्वभौमिक दशा प्रणाली है। जो भिन्न-भिन्न ग्रह अवधियों में विभाजित होती है।
• प्रत्येक अवधि एक विशिष्ट ग्रह द्वारा शासित होता है।
• घटनाओं के समय निर्धारण में विंशोत्तरी दशा बहुत महत्वपूर्ण दशा मानी जाती है।
विशेषकर :(अधिक जानकारी के लिए Wikipediahttps://hi.wikipedia.org  में जाएं।

(ज्ञात हो कि ज्योतिष के सूर्य सिद्धांत में नौतपा का विस्तार वर्णन मिलता है।)
सूर्य सिद्धांत ज्योतिष को बनाने में पौराणिक काल के 18
ज्ञषियों ने अपना योगदान दिया था।
जानें:Wikipediahttps://hi.wikipedia.org ›

*1515 साल पहले महान खगोलविद् वराह मिहिर ने सूर्य सिद्धांत नामक ग्रंथ की रचना की थी।

सुख-सौभाग्य, धन-संपदा के लिए नित्य सूर्य की उपासना करें।
ॐ सूर्याय नम: । ॐ घृणि सूर्याय नम: । ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।। ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:











गुरुवार, 23 मई 2024

2024 Cannes Fims Festival




CANNES FILMS FESTIVAL की शुरुआत 1938 में हुई थी, जब फ्रांस के राष्ट्रीय शिक्षा मंत्री JEAN ZAY उच्च पदस्थ अधिकारी और Historian Phillipe Erlanger फिल्म पत्रकार

ROBERT LE FAVRE BRET के प्रस्ताव पर एक अंतरराष्ट्रीय सिनेमैटोग्राफ़िक महोत्सव स्थापित करने का फ़ैसला किया था। उन्हें अमेरिकियों और ब्रिटिशों का समर्थन प्राप्त हुआ।
हालांकि यहां तक आना इतना आसान नहीं था। इसके निर्माण का श्रेय काफी हद तक Venice Film Festival के स्पर्धा के कारण हुआ था। कितने राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद 31 मई 1939 को, Cannes City को अंततः Biarritz ऊपर उत्सव के स्थान के रूप में चुना गया और टाउन हॉल ने फ्रांसीसी सरकार के साथ मिलकर Le Festival International du Film  नाम से अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के आधिकारिक जन्म प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर किए।
20 सितंबर से 5 अक्टूबर 1946 तक, इक्कीस देशों ने अपनी फ़िल्में पहले Cannes International Film Festival में प्रस्तुत कीं, जो कान के पूर्व Casino of Cannes में हुआ था। 1947 में, दक्षता की गंभीर समस्याओं के बीच, महोत्सव को "Festival du Film de Cannes" के रूप में आयोजित किया गया, जहाँ सोलह देशों की फ़िल्में प्रस्तुत की गईं। कुछ वित्तीय समस्याओं के कारण 1948 और 1950 में यह महोत्सव आयोजित नहीं किया गया था।
अधिक जानकारी: Wikipedia से प्राप्त करें।

    Photo credit:Google 


Cannes Films Festivals में भारत चुंकि भारत का
Photo credit:Google
अपना बहुत बड़ा फिल्म इंडस्ट्रीज हैं। 15 May 2024 को Cannes Films Festival में INDIA PAVILLION  से (भारत मण्डप) के नाम का उद्घाटन हुआ।
भारत मण्डप के उद्घाटन समारोह का नेतृत्व सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सचिव संजय जाजू के साथ फ्रांस में भारत के राजदूत श्री जावेद अशरफ ने किया।
श्री संजय जाजू ने कहा- "हम भारत मण्डप वैश्विक मंच पर भारतीय सिनेमा की नेटवर्किंग,  सहयोग और प्रचार के केंद्र के रूप में काम करेगा। हम भारतीय ऑडियो विजुअल उद्योग और उनके अंतरराष्ट्रीय समक्षकों के बीच अधिक सहयोग को बढ़ावा देना चाहते हैं, जिससे दुनिया भर में भारतीय सिनेमा की ख्याति और पहुंच बढ़े तथा देश के सॉफ्ट टच  को बढ़ाने के लिए  सिनेमा की शक्ति का उपयोग उपयोग करने के राष्ट्रीय लक्ष्य को हासिल किया जा सके"

इस अवसर पर महामहिम जावेद अफरफ ने कहा-
"भारत अपने दार्शनिक योगदान, चिंतन और विचारों के कारण, भू-राजनीतिक और आर्थिक रूप से दुनिया भर का ध्यान आकर्षित कर रहा है। व्यापक अनिश्चितताओं से घिरी
इस बहुध्रुवीय दुनिया में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है, क्योंकि
हम मौजूदा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था से एक नई व्यवस्था की ओर रुख कर रहे हैं। ये सभी पहलू परस्पर जुड़े ह हैं, जिससे विदेश,  विशेष कर सिनेमा में , हमारे लिए अधिक से अधिक उपस्थिति महत्वपूर्ण हो गई है।"

ज्ञात हो कि यह पहली बार है कि भारत कान्स महोत्सव में भारत पर्व की मेजबानी की गयी।
यह पर्व  दुनियाभर की फिल्मी हस्तियों, निर्माता-निर्देशक, खरीदारों और बिक्री एजेंटों के साथ जुड़ने का एक जरिया बनेगा।
इस समारोह में 77वर्षों के इतिहास में पहली बार दस भारतीय फिल्म प्रतियोगिता खण्ड में चुनी गयी है।

इस बार भी भारतीय कलाकारों की भूमिका कान्स में बड़ी अच्छी रही।











मंगलवार, 21 मई 2024

Acorn Fruit - the amazing story of its long journey

Acorn Fruit - the amazing story of its long journey.


 Acorn Fruit
- बलूत का फल

बलूत फल की कहानी बड़ा ही दिलचस्प है।

• बलूत का फल ओक के पेड़ पर लगते हैं। रूप में अंडाकार, कच्चे होने पर हरे रंग और पक जाने पर पीले हो जाते हैं।
• इसके वृक्ष को शाहबलूत बलूत  और  बांज से भी जाने जाते हैं। इंग्लिश में इस पेड़ का नाम ओक (Oak) है।
• (Oak) बांज ((Fagaceae)बिरादरी के (Quercus)जाति का वृक्ष है।
• विश्व भर में ओक के पेड़ की 500 से अधिक प्रजातियाँ पाये जाते हैं।
• सफेद ओक के पेड़ पर जल्दी बलूत के फल विकसित होते हैं जबकि लाल ओक के फल धीमे गति से चलते हैं।
(Oak) बलूत का विशाल पेड़ जंगलों में एक राजसी ठाठ प्रदान तो करते ही हैं साथ ही ये अनेक वन्य जीवों का आश्रयस्थल भी हैं।
• (Oak) को दो समुहों में बांटा गया है। सफेद ओक और लाल (काला) ओक।

(Black Oak Tree.Photo credit:Pexel/Marek Piwnicki)

सफेद ओक में चिकनी और बाल रहित पत्तियों होती हैं।इसके फल में मीठे स्वाद वाले बीज होते हैं जो एक मौसम में पक जाते हैं। ये पतझड़ के मौसम में गिरते हैं।जमीन में गिरते ही अंकुरित होना शुरू कर देते हैं।जबकि लाल (काला)ओक के पत्ते नुकीले लोब वाले होते हैं। इसके फल पकने में दो वर्ष लगते हैं और कड़वे होते हैं। इसके फल को अंकुरित करने का अलग प्रोसेसिंग होते हैं।
• बलूत का पेड़  20 वर्ष के बाद ही फल देने में सक्षम होता है। ज्ञात हो कि एक स्वस्थ पेड़ 10.000 तक फल दे सकता है।
• एक वयस्क बलूत के पेड़ पर दो प्रकार के फूल खिलते हैं। नर (Catkins) और मदा (Pistillate)। अन्य बसंत के फूलों से ये फूल अपनी अलग पहचान रखते हैं। खासकर मादा फूल। ज्ञात हो कि बलूत को एकलिंगी प्रजाति की श्रेणी में रखा जाता है क्योंकि वे नर और मादा दोनों तरह के फूल पैदा करते हैं। ओक के पेड़ों पर बसंत के अंतिम चरण में फूल खिलते हैं।



बलूत फल खाना चाहिए या नहीं?
बलूत का फल पोषक तत्वों से भरपूर होता है।
हालांकि बलूत का फल जंगली सुअरों, हिरणों,गिलहरियों और पक्षियों का प्रिय भोजन है। लेकिन इंसान को इसे बिन प्रोसेस किये कभी नहीं खाना चाहिए। क्योंकि इसमें एक टैनिन एसिड पाए जाते हैं जो शरीर के अच्छे तत्व को अवशोषित करने का गुण रखते हैं।


बलूत के फल का सफ़र बड़ा दिलचस्प है।

प्राचीनकाल से जब इंसान खानाबदोश थे तबसे बलूत के फल का सेवन होते रहे थे।
उसके बाद द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान गेहूं और चावल के अभाव में ये फल मुख्य जीविका का साधन बन गया था।

प्राचीन ग्रीस में तो इस फल को चुनने की सख्त मना थी। इसे (योद्धाओं का भोजन) कहा जाता था।
पुर्तगाल, स्पेन के जंगलों में ओक का जंगल बहुतायत में पाए जाते हैं। वहां (black Iberian Pig) इसे बड़े चाव से खाते हैं।जिससे उसके मांस में गुणवत्ता पायी गई। इससे पीग का मांस चिकनाई से भरपूर, स्वादिष्ट और सुगंधित पायी गयी है।
जैसे-जैसे मानव सभ्यता समृध्द होती गयी, बलूत के फल के भोजन को निम्न श्रेणी में रखा जाने लगा।। कालांतर में यह 'एक भूला हुआ भोजन' बन के रह गया।
अब कालचक्र कहें या विडंबना बलूत के फल को फिर से प्रकाश में लाया जाने लगा। जो फल गिलहरी, हिरणों और सुअरों का भोजन कह त्याग दिया गया था, अब इस फल को प्रोसेस कर ग्लूटेन-मुक्त आटा बनाए जाते हैं और उससे तरह तरह के केक बनाए जाते हैं।
आशा है आने वाले कल में बलूत के फल का सफ़र विविध आयामों में होगा।(देर आए दुरुस्त आए)।
It's never too late to get good at something.
_Guy Fieri

प्रेरणास्रोत:
"Acorn | Definition & Facts"Encyclopedia Britannica

गुरुवार, 16 मई 2024

Aurora: Mysterious Wonder of Nature

 Aurora: Mysterious Wonder of Nature.

अर्थात्:  एक रहस्यमय प्राकृतिक आश्चर्य। 

Photo Credit:Pexels

ऑरोरा को हम ध्रुवीय ज्योतिपुंज के नाम से जानते हैं, यह पृथ्वी के आकाश में एक प्राकृतिक घटना है। एक ऐसी घटना जिसे हम रंगीन प्रकाश के रूप में खुली आंखों से देख सकते हैं।

यह मुख्य रूप से High Latitude क्षेत्रों में____Arctic और Antarctica के आसपास देखा जाता है।

उत्तरी ध्रुव में Northern Lights को Aurora Borealis 

कहते हैं।

दक्षिणी ध्रुव में Southern Lights, Aurora Australis के नाम से जाना जाता है।

ऑरोरा एक शानदार गतिशील पर्दे की तरह विविध रंगों में झिलमिलाता है। यह विभिन्न प्रकार का सर्पीला आकार बनाता हुआ  पूरे आकाश को ढक लेता है।

हाल ही में (10th of May 2024 ) LADAKH के आकाश में यह अजूबा दिखाई दिया।

Solar Storm lights___Ladakh/(PTI PHOTO) 

(Indian Astronomical Observatory __HANLE)

Aurora Borealis पहली बार भारत के Ladakh के आकाश में

सरस्वती पर्वत के ऊपर स्थिर रूप में दिखा।

एक इंजीनियर दोरजे अंगचुक ने इस दृश्य को aurora red arc के रूप में वर्णन किया है। 

कहते हैं __"यह लद्दाख के आसमान में एक दुर्लभ घटना है।"

पृथ्वी का Magnetic Field 

हमारी पृथ्वी साढ़े 23° सूर्य की तरफ झुककर घूमती है। इसके घूमने से Magnetic Field पैदा होती है।

Solar Flares जब उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव की ओर पहुंचता

हैं तब चमक पैदा होती है।

सौर ज्वालाएं (Solar Flares) सूरज पर होने वाले भयंकर विस्फोट हैं जो अत्यधिक ऊर्जा के साथ उच्च गति के कणों को अंतरिक्ष में भेजते हैं।

ये ज्वालाएं अक्सर सौर चुम्बकीय तूफानों से जुड़ी रहती है, जिन्हें

(Coronal mass ejection) CME के रूप में जाना जाता है।

Aurora का कोई मौसम नहीं होता है।  सूरज लगातार  बहुत ऊर्जा और छोटे कण (electron-Proton) पृथ्वी की ओर भेजता रहता है।

पृथ्वी का अपना एक परिमंडल है। इसके चारों ओर का सुरक्षात्मक चुम्बकीय क्षेत्र हमें अधिकांश ऊर्जा और कणों से बचाता है।

सूर्य हर समय समान मात्रा में ऊर्जा नहीं भेजता क्योंकि वहां 

सौर हवाएं (Solar Winds) चलते रहते हैं। सौर तूफान के दौरान 

जिसे (coronal mass ejection) भी कहा जाता है। 

सूर्य की सतह से विद्युतीकृत गैस का एक बड़ा गोला फूटता है जो तेज़ उऔगति से अंतरिक्ष में यात्रा करता है।

जब कोई सौर तूफान पृथ्वी की ओर आता है तो कुछ ऊर्जा और छोटे कण उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों पर चुम्बकीय रेखाओं से नीचे पृथ्वी के वायुमंडल से जा टकराता है। इसके फलस्वरूप इन कणों के गैसों के संपर्क में आते ही आकाश में तेज रोशनी का सुंदर प्रदर्शन होता है।

Oxygen से हरी और लाल रोशनी निकलती है।

Nitrogen नीला और बैंगनी रंग बीखेरता है।

अधिक लाल रंग सर्वाधिक ऊँचाई पर दिखाई देता है। हरा रंग उससे

नीचे, और सबसे नीचे की ओर नीला रंग दिखता है।

पराबैगनी विकिरण विशेष उपकरण द्वारा ही दृष्टिगत होती है।

नीला और गुलाबी रंग का ऑरोरा पृथ्वी के भूचुम्बकीय क्षेत्र में नाइट्रोजन के अणुओं की उपस्थिती के कारण होता है।

प्रकृति की यह  जादुई रोशनी  North Sweden के Abisko नाम के एक गांव से सबसे अच्छा दिखती है। इस गांव में स्थित 43 मील लम्बी झील (Tornetrask lake) के कारण वहां की जलवायु अन्य जगहों से एकदम अलग है।
ICELAND में समुद्र तट पर्यटकों को ऑरोरा का अद्भुत दृश्य दिखाता है।
Photo credit:Pexel

Russia/Siberia/Alaska इत्यादि जगहों पर उत्तरी रोशनी का नज़ारा देखा जा सकता है।

विशेष: इस जादुई प्रकाश को देखने के लिए रात का अंधेरा होना जरूरी है। शरद ऋतु और वसंत का मौसम सबसे अच्छा है।

AURORA के बारे में मीथक।

लैटिन में ऑरोरा का मतलब  है भोर।

यह एक रहस्यमय और रोमांटिक नाम है जो रोमन भाषा में भोर की देवी को कहा गया है। यह देवी नित नयेपन और प्रेम का प्रतीक है।

वह हर सुबह नयी नवेली बन कर घोड़ों से सजे रथ पर सूर्य के आगमन का संदेश देती है।


हिन्दू धर्म के अनुसार अरुणिमा या उषा भोर की देवी है जो भूलोक को सूर्य के आगमन की सूचना देती है।

विभिन्न धर्म के साहित्यकारों ने भोर की बेला का बहुत गुणगान किया है। ऑरोरा को ऊर्जा का प्रतीक माना गया है।

अंग्रेज़ कवयित्री Emily Dickinson की एक सुंदर कविता प्रस्तुत है___

'Let me not Mar that Perfect Dream

By an Auroral strain

But so adjust my daily Night

That it will come again'.

Photo:Antarctica/मैत्री स्टेशन 


इस ऑरोरा की सुंदरता वैज्ञानिक को भी अनायास कवि बना देती है।

Antarctica में एक भारतीय अभियान के दौरान भूवैज्ञानिक रविन्द्र कुमार सिंह की पंक्तियां देखिये -

'यह क्या इन्द्रधनुष सा नभ में छाया

नहीं इन्द्रधनुष इतना चपल

नहीं नहीं मेहेंदी रंजित सुकुमार हथेली

नहीं नहीं उनका यह लहराता आँचल'

प्रेरणास्रोत: https://www.livescience.com







सोमवार, 13 मई 2024

CORAL REEF- AN EXOTIC GIFT OF NATURE

 



CORAL REEF _अर्थात् प्रवाल भित्ति  

प्रवाल को आम भाषा में जिसे मूँगा कहते हैं।यह एक चूना प्रधान जीव है।बाहरी रूप से  ये सख्त होते हैं मगर भीतर एक मुलायम जीव पलता है।
मूँगा  जो लाखों -करोड़ों की संख्या में पाए जाते हैं, एक ही जगह पर आपस में सामूहिक रूप से जुड़े रहते हैं। जब एक मूँगा मरता है तो उसी के ऊपर कोई दूसरा प्रवाल विकसित हो जाता है।इसकी टहनियां और शाखाएं निकल आती हैं।
प्रवाल जो आनुवांशिक और समान रूप से बने होते हैं जिसे वैज्ञानिक भाषा में Polyps कहते हैं।
प्रवाल मुख्य रूप से Tropical सागरों में  30°N से 30°S Latitude के बीच पाए जाते हैं। इसका कारण है कि इनको पनपने के लिए 20°से 21°C तापमान उपयुक्त होता है।
प्रवाल को जिन्दा रहने के लिए सूर्य का प्रकाश और Oxygen चाहिए इसीलिए ये कम गहराई में पाए जाते हैं। अधिक गहरा समुद्र इनके लिए उपयुक्त नहीं होता है.
   
PhotoCredit:Pinterest

प्रवाल भित्ति कैसे बनते हैं?
प्रवाल भित्ति अर्थात् मूंगे की चट्टानें__
मूंगा मरने के उपरांत, चूंकि इसकी संख्या सैंकड़ों में होती हैं, एक सख्त चूने की चट्टान में तब्दील हो जाती हैं जो Calcium Carbonet द्वारा बनती जाती हैं।
साधारण भाषा में इसे मूंगे की दिवार अर्थात इसे ही प्रवाल भित्ति Reef कहा जाता है।

प्रवाल भित्ति में कितने रंग दिखते हैं?

वेव रंग अधिकतर बेंगनी, नीले, हरे या लाल रंग में प्रतिबिंबित होते हैं।
कई मूंगे अधिक  चमकीले दिखाई देते हैं। जीवित मूंगे का हरा रंग शैवाल(समुद्री काई) से प्राप्त होता है।

प्रवाल द्वीप किसे कहते हैं?

मूँगा एक तरह से एक ही जगह पनपने वाले जीव होने के कारण इनकी वंशवृद्धि जल्दी-जल्दी होती है। इनका समूह एक ठूंठ की तरह बढ़ता चला जाता है जिनकी शाखाएं भी निकली होती है और ये एक दूसरे पर पटते चले जाते हैं। यह एक द्वीप का आकार ले लेता है। जिसे प्रवाल द्वीप कहा जाता है।

प्रवाल द्वीप कहां-कहां पाए जाते हैं?
Pacific Ocean,Atlantic Ocean,और  Indian Ocean के Eastern Region के महाद्वीपों में प्रवाल भित्ति अधिक पाए जाते हैं।
जैसे__Australia, Indonesia,  Philippines,  Papua, New Guinea,  Fiji, और Maldives Islands.
भारत के सागरों में___
1  Lakshadweep
2. Gulf of Kutch. 
3.  Gulf of Mannar और
4.   Minion Islands.
रामेश्वरम भारत के सबसे बड़ा प्रवाल भित्ति है।
भारत का कुल Coral Reef का क्षेत्र 5,790km square है। Andaman और Nicobar Islands के चार प्रमुख क्षेत्रों तक फैला है।
रामेश्वरम और तूतीकोरिन के बीच 21 Islands हैं।
Nicobar और Andaman Islands530 द्वीपों से युक्त हैं।जो बहुत  अच्छी स्थिति में है।

प्रवाल भित्तियों को जीवित रहने के लिए गर्म,उथला, साफ और उत्तेजित पानी चाहिए।
खोज से पता चला है कि मूंगे की 500Million वर्ष Carabrian Period से हैं जो आज भी जीवित पाए जाते हैं।

विश्व के सबसे बड़े CORAL REEF कहां पाए जाते हैं?

विश्व के सब से विशाल CORAL REEF System जो
The Great Barrier REEF से जाना जाता है, वह Australia महाद्वीप के पूर्वी-तट,Queensland के उत्तर-पूर्वी तट में Marine Park के समानांतर 1200 miles तक फैली हुई  है। इस की चौड़ाई 10 मील से  90 मील तक है।

CORAL REEF प्रकृति की अद्भुत देन है।
इसे समुद्र का वर्षा वन भी कहते हैं
इसे देखने के लिए  पर्टक आते हैं। उस देश की आमदनी में चार चांद लग जाते हैं।

समुद्री चक्रवात और सुनामी कोरल रीफ को बहुत  नुकसान पहुचाते हैं।
Barnacles,Snails और Star fish और ज्वार-भाटा इनको बहुत नुकसान पहुंचाते हैं।

दूसरा सबसे खतरनाक नुकसान मानव द्वारा फैलाया गया प्रदूषण है।
कारखाने का कचरा, प्लास्टिक जो सैकड़ों  टन की मात्रा में समुद में चला जाता है।  अत्यधिक फीशिंग, कोरल खनन,तेल का बहना इससे Polyps नष्ट हो जाते हैं।https://www.britannica.com/science/coral-reef

विशेष : सिर्फ प्रकृति के भरोसे न रहकर हर मानव जाति को प्रवाल संरक्षण के बारे में विचार करने चाहिए।
प्रवाल की कोई सीमा नहीं।
प्रकृति के इस अद्भुत सौंदर्य को हमें अपने आने वाले नस्लों के लिए बचानी चाहिए। 
📸 credit:Pinterest
 










मंगलवार, 7 मई 2024

JUICE THERAPY

JUICE THERAPY

JUICE THERAPY क्यों करें?
हम तरह-तरह के भोजन खाते हैं। ज्यादातर हम जिह्वा की मांग पर खाते हैं। जिससे मौसम के बदलते ही हमारे शरीर में अनेक प्रकार के विजातीय द्रव्य इकठ्ठे हो जाते हैं।हम प्रकृति विरोधक चीजें खाते हैं।




हम कैसे इसका निदान करें _____आइये जानते हैं।

JUICE THERAPY __जूस थेरेपी से अनेक रोगों का उपचार होता है।
फल,सब्जी,जड़ी-बूटी के रस निकाल कर (अपने डाक्टर  की सलाह  जरूर लें) पीते हैं।
कीडनी और लीवर की सफाई होती है। शरीर से अनावश्यक विजातीय द्रव्य निकल जाता है।
मोटापा दूर करने के लिए JUICE THERAPY से बढ़कर और कुछ नहीं है। ( लेकिन अपने डाक्टर की देख रेख में)

अभी गरमी का मौसम चल रहा है। हर कोई चाहता है कोई ठंडक पेय से अपने को कूल रखें।
इस गरमी में JUICE THERAPY एक अच्छा ऑप्शन है
• बेल का जूस
• मौसमबी
• अनार
• नारियल पानी
• मालटा
• तरबूज


बेल का जूस
• पके बेल का जूस पीने से पेट ठंडा रहता है। कब्ज नहीं होता है।

• बेल के जूस में (Vitamin C) beta-
Carote,Protein,Thiamine aur Riboflavin पाए जाते हैं।
कुछ  लोगों को भूलकर भी बेल का जूस नहीं पीना चाहिए।
जैसे___शुगर के रोगी, गर्भवती महिला, थायरॉइड, कब्ज के रोगी और जिनके बी पी हाई होते हैं।

तरबूज के जूस और उसके फायदे
• शरीर की नमी को बरकरार रखता है।
• शुगर लेवल को मेनेज करने में मदद करता है।
• कीडनी के लिए अच्छा होता है।
• गरमी से बचाता है।
• मांसपेशियों के दर्द को शांत करता है।
• सूजन कम करने में मदद करता है।
सावधान :
• शुगर के रोगियों को तरबूज से परहेज करना चाहिए।
• अस्थमा के रोगी भी तरबूज से दूर रहें।
• किडनी के पेशेंट तो तरबूज को देखे भी नहीं।


हर चीज़ का नफ़ा नुकसान होता है। किसी चीज़ को जाने बिना या किसी से सुनकर उपयोग नहीं करना चाहिए।
इसीलिए कहा जाता है___
' एक स्वास्थ्य हज़ार नियामत है।'
निरोग शरीर स्वर्ग का भोग दिलाता है।इसलिए स्वस्थ रहें,खुश रहें और जीवन का आनंद लें।




















सोमवार, 6 मई 2024

HEERAMANDI _a Netflix series


HEERAMANDI
हीरामंडी संजय लीला बंसाली कृत Netflix Series _ पहली मई 2024 को शुरू हो गयी।
HEERAMANDI __कहानी पुरानी मगर अंदाज नया। जो संजय लीला बंसाली को खास बनाता है।
Photo credit:/Netflix
कहानी इस प्रकार है:-
1940 का Lahore City.
अंग्रेज की हुकुमत और नवाबों की शानो शौकत भरी जिंदगी।
एक तरफ क्रांतिकारियों का भारत को आज़ाद कराने का संघर्ष तो दूसरी ओर नवाबों की विलासिता।
कोठों में मुजरों और महफ़िलों की रौनक जहां हंसी और खामोशी में घुटन।
तफ़ायफों की दम तोड़ती इच्छाएं।
जो गा सकती है,नाच सकती है मगर उसे प्रेम करने का हक नहीं।
दुर्घटनावश अगर कोइ तवायफ बच्चे को जन्म देती है,और अगर लड़की हुई तो कोठे की जागर बन जाती है और भाग्यवश लड़का हुआ तो बेच दिया जाता है।
दो विपरीत परिस्थिति में एक प्रेम का फूल  खिलता है।जो कहानी के बोझिल वातारण में एक ठंडी हवा का झोंका की तरह होता है।
लेकिन यह प्रेम का फूल खिलखिलाकर हंस नहीं पाता है।
HEERAMANDI - 8 episodes में बनी यह कहानी बेशक दर्शको को बांधे रखता है।
Characters  of HEERAMANDI
सभी पात्र अपने खबरदार में फिट हैं।
फरदीन खान जो नवाब के रोल में एकदम सही है। बड़ी आसानी से फरीदन (सोनाक्षी सिन्हा)उसे बेवकूफ बना देती है।
Photo credit:

पात्र चुनने में संजय लीला बंसाली को दाद देनी पड़ती है।
इसी प्रकार सभी पात्र बेजोड़ है।
• मनीषा कोईराला,
• सोनाक्षी सिन्हा• अदिती राव
• शरमिन सहगल
Male Characters of HEERAMANDI
• ताजदार बलोच • जेसन शाह
• शेखर सुमन
• फरदीन खान
• इंद्रश मलिक।
Music and lyrics in HEERAMANDI
सूफ़ी संगीत खासकर अमीर खुशरो की कविता की तरन्नुम ।
गजलें,विशेष कर देशभक्ति गान।
• एक मूवी को डाइरेक्टर सशक्त बनाने के लिए अपनी जान डाल देता है।
• आपको एक पिक्चर या सीरियल देखकर डाइरेक्टर को समझ सकते है वह अंदर और बाहर से कैसा इंसान है।
एक दर्शक अपने नजरिए से उस पिक्चर की कहानी को देखता है।
मलिका जान (मनीषा कोइराला) को जब उसकी बेटी(आलमजेब) बिखरी मोती देती है तो वह कहती है इसमें एक मोती कहां है। और सुबह तक उसे वापस चाहिए ।
आलम सुबह जब मोती उसके हाथ में देती है तो वह उसे निगल जाती है।
इस भाव को समझिये___मोती मासूमियत को दर्शाता है।मोती का टूटना भी एक भाव है।
मतलब___एक तवायफ की जिंदगी में मासूमियत की कोई जगह नहीं। मोती निगलकर दर्शाती है कि बहुत जल्द ही उसको(आलम जेब)को भी मुजरे की मैदान में उतरना है।

आलमजेब से मोती की माला का टूटना दर्शाता है कि उसे लकीर का फकीर नहीं बनना है। आलमजेब कहती है कि वह गजलें, नज़में लिखेगी तो सभी उसकी मज़ाक उड़ाती है।
शरमिन सहगल को लेकर बहुतों ने संजय लीला बंसाली पर Nepotism होने का आरोप लगाया है।
अगर सिरियल की पूरी कहानी देखें तो उस में उसकी(आलमजेब)की कोई जगह थी ही नहीं मगर कहानी को सरस बनाने के लिए ऐसे पात्र का होना बहुत ज़रूरी है। इसीलिए एक ❤ birds का होना कहानी की मांग है।
Photo credit: google
संजय लीलाबंसाली बहुत मंजे हुए डाइरेक्टर है। उन्होंने पात्रों का सही चयन किये है।
HEERAMANDI- The Diamond Bazaar क्या Message है।
लकीर का फकीर नहीं बनना है।चाहे कोठा हो या परतंत्र देश। आज़ाद तो होना ही है।
आलोचनाओं के बावजूद HEERAMANDI देखने लायक है।









शनिवार, 4 मई 2024

Mufasa-the lion king

 Musafa-the lion king मूवी की आजकल बड़ी चर्चा हो रही है।हर कोई उसे देखने के लिए उत्सुक नज़र आ रहा है।



याद हो कि 2016 में जंगल बुक नाम से जो एनिमेटड मूवी चली थी उसके दिवाने बच्चे,जवान और बुजुर्ग तक थे। मोगली नाम का किरदार तो हर बच्चे के मन में आज भी बसा हुआ  है।

20th Dec.2024 को 'Musafa-the lion king' :Disney's Prequel Movie(रीलीज़ हो रही है।
आइये जाने Musafa-the lion king की कहानी क्या है:-
• यह एक पारिवारिक कहानी है जो गद्दी को लेकर  जंग होती है।
• यह असत्य पर सत्य की विजय की कहानी है।
• सत्ता की लालच की कथा है।
• राजनीति में कैसे दांव पेंच का खेल खेला जाता है।
• यह पलायन की कहानी है।
• निर्बल पर बलवान का विजय की कहानी।

समय का चक्र कैसे घूमकर वहीं आकर रूकता है,जहां से चक्र घूमा था।
प्राइड लेंड्स में मुफासा नाम का शेर अपनी बीवी साराबी के साथ रहता है। दोंनों का एक बेटा होता है , सिम्बा


सिम्बा ही प्राइड लेंड्स का उत्तराधिकारी होता है। लेकिन स्कार को जो सिम्बा का चाचा है। उसे यह बात नापसंद होती है कि मुफासा के बाद सिम्बा राजा बने।
स्कार कुछ लकड़बग्घों के साथ मिलकर मुफासा की हत्या कर देता है,और ज़ाहिर करता है कि सिम्बा के कारण मूफासा की मौत हुई है।
सिम्बा आत्मग्लानि से भर जाता है और निर्वासन में चला जाता है।
सिम्बा युवा होकर एक सुंदर स्वस्थ शेर में तब्दील हो जाता है।वह अपने दो दोस्तों के साथ और नाला (उसकी प्रेमिका)के साथ हालांकि खुश तो रहता है लेकिन जब भी रात में तारों भरे आकाश को देखता है तो अपने पिता को याद कर के उदास हो जाता है।
प्राइड लेंड्स में स्कार की क्रूरता के कारण सभी प्राइड निवासी चाहते हैं कि सिम्बा वापस आकर राज सम्भाले।


 रफीकी नाम की एक मेनड्रील, सिम्बा की आध्यात्मिक गुरू बनकर उसे समझाती है कि उसे वापस प्राइड लेंड्स जाकर अपनी गद्दी सम्भालना है। उसके पिता की यहीं इच्छा थी।
सिम्बा वापस प्राइड लेंड्स जाता है तो वहां की हालत देखकर दंग रह जाता है। वहां सारे पेड़-पौधे और हरयाली नष्ट हो गये थे।
स्कार सिम्बा से लड़ाई करता हैं और मारा जाता है।  एक दिन जिन लकड़बग्घों के साथ मिलकर मुफासा को मारा था,वहीं लकड़बघ्घे उसे खा जाते हैं।
यहां पर हमें एक सीख मिलती है कि______"शेर को मारने के लिए कभी लकड़बग्घे से दोस्ती नहीं करनी चाहिए।'' 
यह तो रही Musafa-the lion king की कहानी।

बेशक यह पिक्चर बहुत कामयाब होगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मुफासा की कहानी एक सच्ची कहानी से प्रेरित  है।
आज से चार साल पहले अमेरिका के 'The Washington Post' में एक समीक्षात्मक लेख  ___'The tru story behind the lion king' (Kellie Carter Jackson )लिखी गयी थी।जो बहुत ही दिलचस्प था।

Sundiata Keita  को पश्चिम अफ्रीका (माली)के शेर कहा जाता था ।वह माली साम्राज्य की स्थापना की थी।

1235 से1255 तक एकछत्र शासन किया था। उसका राज्य अटलांटिक तट से लेकर नाइजर नदी तक फैला था। वह बहुत दानी था। इतना सोना दान किया था कि पच्चीस साल तक की कीमत का अवमूल्यन हो गया था।
Sundiata Keith के जन्म की कहानी बड़ा ही दिलचस्प था.
Mandinka griots एक इतिहासकार कहते हैं कि राजा
(Nare Maghann Konate) की कहानी ही वास्तव में Musafa-the lion king की हानी है।
उसके जन्म के बारे में भविष्यवाणी हुई थी कि अगर उसके पिता एक कुरूप महिला से शादी करेगा तो वह एक बेटे को जन्म देगी जो भविष्य में माली का एक शक्तिशाली सम्राट बनेगा।
राजा Nare Maghann Konate एक कुरूप महिला (Buffalo Woman) जिसका नाम Sologen Kedjou थी, उससे शादी कर ली। लेकिन केडजू ने एक बेटे को जन्म दिया मगर वह विकलांग निकला।
हालांकि राजा ने अपने विकलांग बेटे जिसका नाम Sundiata रखा गया ,उसका परित्याग नहीं किया। लेकिन सुंदियाटा की विकलांगता को बड़ी बेरहमी से मज़ाक उड़ाया जाता था।
एक दिन सुंदियाटा अपनी दृढ़संकल्प के कारण चलने लगता है।
सुंदियाटा का सौतेला भाई Dankaran Tourman राजा बनना चाहता था। उसकी मां Sassouma Berete बेटे का समर्थन करती थी। एक दिन राजा Nare Maghann Konate की रहस्यमी मौत हो जाती है।
हमले के डर से Sologen Kedjou, Sundiata और अपने बाकि बच्चों को लेकर पलायन कर जाती है।
मंडिका लोगों पर एक क्रूर और दमनकारी राजा Soumaora Kante of Sosso का आधिपत्य हो जाता है।
एक अच्छे शासक के अभाव में मंडिका लोग अस्त-व्यस्त हो जाते हैं।
लोगों ने सुंडियाटा को वापस लौट आने का संदेश भेजा। निर्वासन में सुंडियाटा ने अन्य शासकों के साथ गठबंधन बनाया और  Soumaora Kante को उखाड़ फेंकता है।
विजयी होने पर सुंडियाटा ने अपने नई उपाधि 'मनसा' पाया, मंडिका में जिसका मतलब (सम्राट) होता है।
इस कथा में भी___
• एक ऐसी मां की कहानी है जो भाग कर अपने बच्चों की रक्षा करती है।
• एक विकलांग व्यक्ति की कहानी है जो प्रताड़ित होकर भी हिम्मत नहीं हारता है।
और अंत में दोनों कहानियों से यहीं सीख मिलती हैं कि अच्छाइयों की सर्वत्र विजय होती है।

अन्य देशों की तरह भारत में भी Mufasa-the lion King का बेसब्री से इंतजार है।

अंत में Rafiki की कही गयी एक quote:-
"The past can hurt
But the way I see it,
You can either run from it or
Learn from it."























Eclipse,EarthDay

Breastfeeding week

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