कुछ राहें छोटी होती है मगर फूलों का एहसास देती है।
हालांकि जिंदगी फूलों की सेज नहीं।
ऐ मुसाफिर!
वसंत के पहले दिन से मेरा जो सफ़र शुरू हुआ था __
बैसाखी के आने से पहले ही खत्म हो गया।
रह गया है दोपहर में तपती लू और दोपहर का सन्नाटा।
नज़रों से दूर झिलमिलाता है एक क्षितिज
यादों का जीना परदा जो मंज़िल का एहसास तो देता है पर________
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