NAUTAPA 2024 प्रकोप से सावधान!
• ज्योतिष गणना के अनुसार 24 मई की मध्यरात्रि के बाद 3.15 बजे सूर्य कृतिका नक्षत्र से निकल कर रोहिणी प्रवेश करेंगे।
• नौतपा का प्रकोप 25 मई 2024 से लेकर 1 जून 2024 तक रहेगा।
इन दिनों सूर्य की किरणें धरती के अधिक नज़दीक आ जाती है।
*कभी कभी प्रकृति धरती सूर्य की कठिन ताप सहकर भी ऊर्वरा बनने में कोई कसर नहीं छोड़ती।
• नौतपा कृषि के लिए अच्छी वर्षा लाती है।
अब आइए जानें नौतपा क्या बला है।
ज्योतिष गणना की बड़ी-बड़ी बातें न कर के जाने साधारण शब्दों में नौतपा का मतलब क्या होता है।
ज्येष्ठ मास के लगते ही जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तब नौतपा लग जाता है।
(नौतपा- नाप से ही पता चलता है 9 दिनों की गरमी)
ज्योतिष मत के अनुसार सूर्य जितने दिन रोहिणी में रहता है उतने दिन पृथ्वी पर भीषण गरमी का एहसास होता है।
इसी अवधि को नौतपा या नौताप के नाम से जाना जाता है।
यों तो सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों के लिए आता है लेकिन शुरूआत के नौ दिनों में भीषण गरमी का प्रकोप होता है।
*चलिए ज़रा नक्षत्रों की सैर करते हैं।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तारा समूह को नक्षत्र कहा जाता है। नक्षत्र 27 होते हैं। उनके नाम क्रम से इस प्रकार है -
1.अश्विनी, 2.भरणी,3.कृत्तिका, 4.रोहिणी,5.मृगशिरा,
6.आर्द्रा, 7.पुनर्वसु, 8.पुष्य, 9.आश्लेषा, 10.मघा,
11.पूर्वाफाल्गुनी, 12.उत्तराफाल्गुनी, 13.हस्त,
14.चित्रा, 15.स्वाति, 16.विशाखा, 17.अनुराधा,
18.ज्येष्ठा, 19.मूल, 20.पूर्वाषाढ़ा, 21.उत्तराषाढ़ा,
22. श्रवण, 23.घनिष्ठा, 24.शतभिषा,
25.पूर्वाभाद्रपद, 26. उत्तराभाद्रपद,
27.रेवती नक्षत्र।
(पौराणिक मान्यताओं के अनुसार 26 नक्षत्र प्रजापति की
पुत्रियां मानी जाती है।)
*ज्योतिष गणना के लिए 12 राशियां होती है, 27 नक्षत्र,
और नौ ग्रह होते हैं। जिनमें सूर्य प्रमुख ग्रह माना जाता है।
*सूर्य सौर मण्डल की आत्मा मानी जाती है।
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• सूर्य एक नक्षत्र में कितने दिन रहता है?
'निदान सूत्र ' के अनुसार सूर्य वर्ष में 360 दिन गिने गये हैं।
इस गणना से सूर्य को एक नक्षत्र में 13 दिन बिताना है।
• विंशोत्तरी दशा प्रणाली एक सार्वभौमिक दशा प्रणाली है। जो भिन्न-भिन्न ग्रह अवधियों में विभाजित होती है।
• प्रत्येक अवधि एक विशिष्ट ग्रह द्वारा शासित होता है।
• घटनाओं के समय निर्धारण में विंशोत्तरी दशा बहुत महत्वपूर्ण दशा मानी जाती है।
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(ज्ञात हो कि ज्योतिष के सूर्य सिद्धांत में नौतपा का विस्तार वर्णन मिलता है।)
सूर्य सिद्धांत ज्योतिष को बनाने में पौराणिक काल के 18
ज्ञषियों ने अपना योगदान दिया था।
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*1515 साल पहले महान खगोलविद् वराह मिहिर ने सूर्य सिद्धांत नामक ग्रंथ की रचना की थी।
सुख-सौभाग्य, धन-संपदा के लिए नित्य सूर्य की उपासना करें।
ॐ सूर्याय नम: । ॐ घृणि सूर्याय नम: । ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।। ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।