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सोमवार, 3 जून 2024

EVM (ELECTRONIC VOTING MACHINE)

 EVM मशीन क्या है?

EVM मशीन एक (Made in India) उपभोक्ता electronics ब्रांड है।



EVM इलेक्ट्रॉनिक मशीन एक ऐसी मशीन है जिसका उपयोग लोग चुनाव के दिन वोट डालने के लिए करते हैं

मशीन जिसमें चुनाव कराया जाता है, बैलेट छपाई का खर्चा बचाया जाता है, समय की बचत होती है और महीनों तक डेटा स्टोर किया जा सकता है

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन एक पोर्टेबल डिवाइस है जिसका उपयोग चुनाव के लिए किया जाता है

चुनावों में इनका उपयोग करने के लाभ ये हैं:

1. ई.वी.एम. से चुनाव कराने से लाखों मतपत्रों की छपाई की लागत बचती है और पर्यावरण को होने वाला नुकसान से भी बचाया जाता है।

2. मतों की गिनती बहुत तेजी से होती है और परिणाम 2-3 घंटे में घोषित किया जा सकता है, जबकि मतपत्र प्रणाली में 30-40 घंटे लगते हैं।
3. ईवीएम में डेटा को बिना छेड़छाड़ के लंबे समय तक संग्रहीत किया जा सकता है.

पिछले चुनावों और मतदान के रुझानों की भविष्यवाणी, विश्लेषण करने के विज्ञान को सेफोलॉज़ी (Psephology) कहा जाता है?


सेफोलॉजी (Psephology) चुनाव परिणामों की भविष्यवाणी करने का विज्ञान है।
•  यह पिछले चुनावों के विश्लेषण और चुनाव के समापन के बाद मतदान के रुझान से भी संबंधित है।
• इसकी सीमाएं स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं हैं।
सेफोलॉजिस्ट (Psephologist) विभिन्न सामाजिक संदर्भों में चुनावों का अध्ययन समझ सकती है।

*चुनाव प्रक्रिया से संबंधित निम्नलिखित घटनाओं का सही कालानुक्रमिक क्रम:-

1. चुनाव कार्यक्रम की घोषणा
2. प्रत्याशियों की अंतिम सूची तैयार करना
3. नामांकन दाखिल करना
4. नामांकन वापस लेना
5. प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह आवंटित करना।


*भारत में चुनाव निम्नलिखित प्रक्रियाओं के अनुसार आयोजित किए जाते हैं

1. उम्मीदवार चुनाव आयोग के पास अपना नामांकन पत्र दाखिल करते हैं।
2. उम्मीदवारों की सूची प्रकाशित की जाती है
3. मतदान से पहले दूसरे आखिरी दिन सुबह 6 बजे प्रचार समाप्त हो जाता है।
4.मतदान सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक होता है।
5.ईवीएम (EVM) का उपयोग चुनाव धोखाधड़ी को रोकने के लिए किया जाता है
6. नागरिक के मतदान के बाद उसकी बायीं तर्जनी अंगुली पर अमिट स्याही का निशान लगाया जाता है।

अब जरा पीछे मुड़कर देखें। हालांकि इवीएम  का सफ़र इतना आसान नहीं है। हारने वाले पार्टी इसे हमेशा शक की नजर से देखते हैं।

• 1982 में इवीएम का प्रयोग पहली बार केरल के आम चुनाव में हुआ था।
• 2001 May में Tamil Nadu, Kerala, Puducherry और West Bengal राज्यों में हुए  विधानसभा चुनावों में सभी विधानसभा क्षेत्रों में EVMs मशीन का उपयोग  हुआ  था।
• 2004 में लोकसभा के आम चुनाव में देश के सभी 543 (Parliamentary Constituencies) क्षेत्रों में
• इवीएम (दस लाख से ज्यादा) का उपयोग किया गया था।
• 1988 में EVM को लागू किये गए आरपी एक्ट 1951 की धारा 61Aके तहत वैधानिक  समर्थन प्राप्त है।




रविवार, 2 जून 2024

LICHEE-TROPICAL AND SUBTROPICAL FRUITS

 


Lichee__ tropical and subtropical exotic fruits

Lichee _ जैसे नाम ही से पता चलता है कि इसका
इतिहास चीन से रहा होगा। बात सच है। ऐतिहासिक
रूप से, लीची की खेती 1050 ईस्वी से दक्षिणी चीन में की जाती रही है।
लोगों की मान्यता है कि लीची 2000 पूर्व से उगाया जाता रहा है।
हान राजवंश के दौरान चीनी शाही दरबार में लीची बहुत प्रिय थी।
Lichee को आनंदमय जीवन के लिए उपहार के रूप में लिया जाता था।
लीची चीनी व्यापारियों के जरिये हिंद महासागर के ट्रोपिकल देशों में पहुँचा।जैसै:-
मॉरिशस, रोड्रिक्स आइलेंड,  रेनियन टापू, और मेडागास्कर
लीची एक रसेदारफल है जो गुच्छों में लगती हैं। इसके पेड़ बहुत घने और बड़े होते हैं। यह पेड़ आनंद और समृद्धि का प्रतीक है। जिसके भी आंगन में लीची का पेड़ होता है उसे
गरीबी का श्राप नहीं लगती। हालांकि यह पेड़ बहुत नज़ाकत से पाले
 जाते हैं।
Photo credit: Pinterest
Lichee कच्चे होने पर हरे होते हैं और पक जाने लाल हो जाते हैं।
वृक्षों पर पके लीची अनयास ही मन को अपनी ओर आकर्षित कर लेता हैं।

मॉरिशस के लीची बड़े शानदार होते हैं। वहां की जलवायु  इसके अनुकूल होते हैं।
सरदी के अंत में पेड़ों पर फूल आने लगते हैं। गरमी की शुरुआत नवम्बर, डिसम्बर में मॉरिशस के बाज़ार पके लीचियों के गुच्छों से गुलज़ार हो
 जाते हैं।

नवम्बर, डिसम्बर इस के पीक सीज़न होते हैं। कहीं कहीं
जनवरी के मीड तक चल जाते हैं।

इसके विपरीत भारत के बाज़ार में लीची मई  महिने के अंत और 15 जून तक लीची के दर्शन होना बंद हो जाता है।



लीची की खेती करना बहुत महंगा व्यवसाय होता है।
अगर बीज से लगाया जाए तो पांच से छ: साल के बाद ही फल देना शुरू होता है। जबकि कलम से लगाने पर साल के पहले सीजन में फल देने  लगता हैं।
चूंकि लीची को आम की लरह तोड़कर नहीं पकाया
जाता हैं इसीलिए इसको पेड़ पर ही पकने दिया जाता है।
पके लीची को चमगादड़ों से बचाने के लिए पेड़ों पर जाले लगाए जाते हैं।
Lichee खाने से जहां स्वस्थ लाभ होता है तो दूसरी ओर अधिक खाने से शरीर में गरमी के कारण फोड़े फुंसी भी होने
लगते हैं।
Lichee की तासीर गरम होती हो। रसेदार और पके लीची
को बर्फ भरे ठंडे पानी में दो  घंटे तक रख कर ही खाया जाता है।
Lichee एक लग्ज़री फल है जो बहुत कम समय में अपनी
छटा बिखेरती हो।
लीची का पेड़ घर के आंगन में लगाने से सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
Lichee का ठंडा शरबर पीने से शरीर में ताज़गी भर जाती है।

Lichee delight
 

गरमी के मौसम में lichee delight का अपना अलग ही
राजसी ठाठ होता है।
आइये लीची डीलाइट बनाते हैं_

Lichee delight recipe :-

एक कप लीची का रसेदार गूदा
एक कप बर्फ के टुकड़े
मीश्री
और soda water.
लीची का गूदा, बर्फ और मीश्री को एकसाथ blender में चला दें।
उसके बाद ठंडे सोडा पानी मिलाकर  lichee delight का आनंद लें।


















शुक्रवार, 31 मई 2024

SWAMI VIVEKANAND ROCK MEMORIAL

 Swami Vivekanand Rock Memorial

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Photo Credit :Pinterest 

Kanyakumari, Tamil Nadu, South India.


KANYAKUMARI जिसे Cape of Comorin से भी जाना जाता है।
यह प्रायद्विपीय (Peninsular)भारत के दक्षिणी छोर पर है।
KANYAKUMARI तीन समुद्रों का मिलन बिंदु है।
( अरब सागर, हिन्द महासागर, बंगाल की खाड़ी)
इस स्थान को त्रिवेणी का संगम कहा जाता है।
KANYAKUMARI का मुख्य आकर्षण समुद्र में दो जुड़वां चट्टानें हैं (twin rocks)हैं।
यहां की चट्टानें लक्षद्वीप सागर से घिरी हुई है। यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत रंगों का मिश्रण है। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त  जैसे जीवन और मृत्यु का अमर संदेश देता हो।
यह चट्टानें भूमि-तट से लगभग 500mtrs की दूरी पर है।
एक चट्टान Swami Vivekananda Memorial Rock
के नाम समर्पित है और दूसरी चट्टान पर अमर कवि
तिरूवल्लुवर की 95फीट प्रतिमा अपनी पूरी गरिमा के साथ
स्थित है।

Vivekanand Rock Memorial


स्वामी विवेकानंद का संक्षिप्त परिचय

4July 1902 को उन्होंने महासमाधि धारण कर महाप्रयाण की यात्रा पर चल दिए थे।
उनकी आयु तब मात्र 39 वर्ष की थी। उनकी समाधि हावड़ा में हुबली नदी के तट पर बेलूर मठ में है।
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12Jan, 1863 को हुआ था।
उनका मूल नाम था- नरेंद्रनाथ दत्त।
उनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त और माता का नाम
भुवनेवश्वरी था।
स्वामी विवेकानंद की शिक्षा ईश्वरचंद्र विद्यासागर के मेट्रोपॉलिटन इंस्टीट्यूट में हुई थी।
उनकी शिक्षा का मुख्य विषय संगीत,साहित्य और दर्शन था।
1893 में आयोजित विश्व धर्म  महासभा में भारत की ओर से अमेरिका (शिकागो में) वे सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किये थे।

1897 में 1rst मई को उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी।
उन्होंने अपना पूरा जीवन अपने गुरूदेव रामकृष्ण परमहंस को समर्पित कर चुके थे।
Swami Vivekanand की वक्तृता के कारण ही अमेरिका और यूरोप में भारत की आध्यात्मिकता और वेदान्त दर्शन पहुंचा।
1892 में स्वामी विवेकानंद कन्याकुमारी आये थे। इस जगह से अभिभूत होकर वे कन्याकुमारी के तट से तैर कर
(Twin rock) तक पहुँचे थे।
स्वामी विवेकानंद तीन दिन और तीन रात टापू के चट्टान पर बैठकर ध्यान लगाए थे। वही से उनको जीवन का लक्ष्य और लक्ष्य की प्रप्ति का ज्ञान प्राप्त हुआ था।

इस स्थान को (श्रीपद पराई ) के नाम से जाना जाता है और इसको बहुत पवित्र माना जाता है क्योंकि प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इसी स्थान पर (पार्वती) कन्याकुमारी ने तपस्या की थी।
1963 में स्वामी विवेकानंद की जन्म शताब्दी के शुभ अवसर पर  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) कार्यकर्ता
एकनाथ रानाडे की देखरेख में Vivekanand Rock Memorial कमेटी ने यह स्मारक बनवाया था।
2nd Sep,1970 को भारत के तत्कालीन
राष्ट्रपति डा. वी. वी. गिरी ने तमिलनाडु के तत्कालीन्
मुख्यमंत्री करुणानिधि की अध्यक्षता में आयोजित एक विशाल समारोह में Vivekanand Rock का उद्घाटन हुआ था।
Swami Vivekanand के अनमोल विचार:-


• उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।

• ब्रह्मांड की सभी शक्तियां हमारे अंदर हैं। यह हम ही है जिन्होंने अपनी आंखों के सामने हाथ रखा है और रोते हुए कहा कि अंधेरा है।
• पढने के लिए  जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान, ध्यान से ही हम इंद्रियों र संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते हैं।
विशेष:-
ज्ञात हो कि Youth Day 1984 में UNO ने अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस मनाने की घोषणा की थी। बाद में हर साल
12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती पर राष्ट्रीय युवा
दिवस मनाने का निर्णय भारत सरकार ने लिया।










बुधवार, 29 मई 2024

POPE FRANCIS

 POPE FRANCIS का कभी भी किसी का अपमान करने का इरादा नहीं था: ''चर्च में सभी के लिए जगह है''

Photo Credit: Wikipedia 

Vatican के प्रवक्ता माटेओ ब्रूनी ने कहा।
वास्तव में 20 मई की एक घटना समलैंगिकों को लेकर हुई थी। पोप फ्रांसिस पर आरोप था कि उन्होंने एक आपत्तिजनक शब्द कह दिये थे।
जबकि 2013 में POP FRANCIS ने अपने एक भाषण में कहा था___"अगर कोई  व्यक्ति समलैंगिक है और ईश्वर की शरण में आना चाहता है तो ये ईश्वर की मर्जी है और मैं इसका फैसला करने वाला कौन होता हूं।"
आइये जाने POP FRANCIS का संक्षिप्त परिचय।
• POP Francis का जन्म 17 दिसंबर, 1936,Buenos Aires,Argentina में हुआ था।
• POP FRANCIS कैथोलिक चर्च के पोप और प्रमुख, रोम के बिशप और वेटिकन सिटी स्टेट के संप्रभु हैं।
• वह सोसाइटी ऑफ जीसस (Jesuits) के सदस्य बनने वाले पहले पोप हैं।
• अमेरिका और दक्षिणी गोलार्ध से पहले हैं, और सीरियाई पोप ग्रेगरी III की 8वीं सदी की पोपसी के बाद से यूरोप के बाहर जन्मे या पले-बढ़े पहले व्यक्ति हैं।
• उनका मूल नाम Jorge Mario Bergoglio है।
POP FRANCIS वह नेता हैं जिन्होंने 2013 में पोप चुने जाने पर रोमन कैथोलिक चर्च के एक नए युग का प्ररम्भ किया।
• Bergoglio अर्जेंटीना में Italian immigrants के बेटे थे। वे रासायनिक तकनीशियन बनने के लिए हाई स्कूल में अध्ययन करने के बाद,  कुछ समय के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में काम किये।
•  जब वह लगभग 21 वर्ष के थे, तब उन्हें निमोनिया का गंभीर दौरा पड़ा, जिसके कारण उनके दाहिने फेफड़े का हिस्सा निकालना पड़ा।
• उन्होंने 1958 में जेसुइट नवप्रवर्तन में प्रवेश लिया और फिर शिक्षाविदों की ओर रुख किया।

•  Santiago, Chile  में मानविकी का अध्ययन किया और ब्यूनस आयर्स Buenos Aires प्रांत में दर्शनशास्त्र में लाइसेंसिएट (मास्टर डिग्री के समकक्ष) अर्जित किया।
• स्नातक होने के बाद उन्होंने धर्मशास्त्र में डिग्री हासिल करने के दौरान हाई स्कूल में साहित्य और मनोविज्ञान पढ़ाया।
1969 में उन्हें एक Priestनियुक्त किया गया.
• 1973 में उन्होंने जेसुइट आदेश में अपनी अंतिम प्रतिज्ञा ली और बाद में अर्जेंटीना के जेसुइट प्रांत के सुपीरियर (प्रमुख) के रूप में कार्य किया (1973-79)

दिसंबर 2023 में वेटिकन ने सैद्धांतिक घोषणा Fiducia Supplcatans(“प्रार्थना ट्रस्ट”) जारी की, जिसमें घोषणा की गई कि फ्रांसिस ने समान-लिंग वाले जोड़ों को इस शर्त के साथ औपचारिक रूप से आशीर्वाद देने की मंजूरी दी है कि इस तरह के आशीर्वाद को अनुष्ठानों या पूजा-पाठ के दौरान नहीं दिया जाएगा।
• दस्तावेज़ ने चर्च के सिद्धांत को भी दोहराया कि विवाह एक पुरुष और एक महिला के बीच का मिलन है।

• उसी महीने फ्रांसिस ने एक साक्षात्कार में अपनी योजना साझा की कि उनकी मृत्यु के बाद उन्हें Vatican के बजाय सांता मारिया मैगीगोर के बेसिलिका में दफनाया जाए।

यह निर्णय वर्जिन मैरी के प्रति उनकी भक्ति से उत्पन्न हुआ था।
1669 के बाद से वे सांता मारिया मैगीगोर में दफन होने वाले पहले पोप होंगे।
POP FRANCIS सुधार की विशिष्ट विरासत का एक और संकेत जो उन्हें महान् बनाते हैं।

पश्चिमी गोलार्ध के पहले पोप, दक्षिण अमेरिका के पहले और जेसुइट आदेश के पहले पोप के रूप में,
POP FRANCIS ने चर्च में कई सुधार किए और विनम्रता की प्रतिष्ठा बनाई।
उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धियों में पोप का विश्वपत्र लौडाटो सी’ (“स्तुति हो आपकी”; 2015) शामिल है, जिसने जलवायु संकट को संबोधित किया और पर्यावरण संरक्षण की वकालत की.
कैथोलिक, गैर-कैथोलिक और गैर-ईसाइयों के बीच एकता को बढ़ावा देने के उनके प्रयास सराहनीय है।
"We must restore hope to young people,
Help the old,
Be open to the future,
Spread love,
Be poor among the poor."
__Pope Francis.
































































मंगलवार, 28 मई 2024

MEMORIAL DAY

 Memorial Day को डेकोरेशन डे कहा जाता है।

Photo Credit: Pexels-Media


ये उन लोगों की याद का दिन है जो संयुक्त राज्य अमेरिका की सेवा में मारे गए हैं।
•  मई 1966 में, राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने एक कदम उठाया और आधिकारिक तौर पर वाटरलू एन.वाई. को मेमोरियल डे का जन्मस्थान घोषित किया।
Memorial day  __जब 1865 में गृह युद्ध  समाप्त हुआ तब शहीदों को सम्मान में यह दिन  रखा गया।
• 5 मई 1868 को, जनरल जॉन लोगन जो गणतंत्र की ग्रैंड आर्मी के राष्ट्रीय कमांडर थे, ने आधिकारिक तौर पर अपने जनरल ऑर्डर नंबर 11 में Memorial day की घोषणा की।
• 30th May,1868 को उन शहीदों के कब्रों पर फूल  चढ़ाने और सजाने के उद्देश्य से नामित किया गयाजो विद्रोह के दौरान अपने देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए  थे।
• चूंकि Memorial Day किसी विशेष लड़ाई की पुण्य  तिथि नहीं थी इसलिए General James Garfield ने अपने ऐतिहासिक में इस दिन को Decoration Day के नाम से नवाज़ा।

• प्रथम डेकोरेशन दिवस पर, 5,000 प्रतिभागियों ने Arlington Cemetery में दफनाए गए 20,000 Union and Confederate soldiers  की कब्रों को सजाया.

• न्यूयॉर्क 1873 में आधिकारिक तौर पर इस Memorial Day को छुट्टी को मान्यता देने वाला पहला राज्य था।

1890 तक सभी उत्तरी राज्यों ने इस  दिन को मान्यता दे दी थी। दूसरी ओर, दक्षिण ने इस दिन को मान्यता देने से इनकार कर दिया और अपने शहीदों को अलग-अलग दिनों पर सम्मानित किया।
यह प्रक्रिया प्रथम विश्व युद्ध के बाद तक चलता रहा जब छुट्टी सिर्फ़ उन लोगों को सम्मानित करने से बदल गई जो गृहयुद्ध में लड़ते हुए मारे गए थे।
Photo Credit:Pexels-Media

1971 के राष्ट्रीय अवकाश अधिनियम (पी.एल. 90 - 363) के कांग्रेस द्वारा पारित होने के बाद, अब यह दिन लगभग हर राज्य में मई के अंतिम सोमवार को मनाया जाता है।इससे संघीय छुट्टियों के लिए तीन दिन का सप्ताहांत (मेमोरियल डे वीकेंड) सुनिश्चित करने में मदद मिली। 
इसके अलावा, कई दक्षिणी राज्यों में कॉन्फेडरेट युद्ध में मारे गए लोगों के सम्मान के लिए एक अलग दिन भी है:-
टेक्सास में 19 जनवरी;  अलबामा, फ्लोरिडा, जॉर्जिया और मिसिसिपी में 26 अप्रैल;  दक्षिण कैरोलिना में 10 मई;  और लुइसियाना और टेनेसी में 3 जून (जेफरसन डेविस का जन्मदिन)।

Memorial Day का इतिहास और अर्थ: लाल पोपी

1915 में, "इन फ़्लैंडर्स फ़ील्ड्स" कविता से प्रेरित होकर, मोइना माइकल ने अपनी कविता के साथ उत्तर दिया:

"हम भी उस लाल पोपी को संजोते हैं जो उन खेतों में उगती है जहाँ वीरता ने नेतृत्व किया, यह आसमान को संकेत देता है कि नायकों का खून कभी नहीं मरता।"

History and the Meaning of Memorial Day: Red Poppies

In 1915, inspired by the poem __“In Flanders Fields,” Moina Michael replied with her own poem:

"We cherish too,
the Poppy red
That grows on fields
where valor led,
It seems to signal to the skies
That blood of heroes never dies."

विशेष: Memorial Day को आंशिक रूप से राष्ट्रीय स्मरण दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो सभी अमेरिकियों को दोपहर 3 बजे मौन रहने के लिए प्रोत्साहित करता है।



सोमवार, 27 मई 2024

Cannes Films festival winner/'All we imagine as light'

 अंत भला तो सब भला

CANNES FESTIVALS  2024भारतीय फिल्म विजेता पायल कपाड़िया आजकल  खूब चर्चा में है।
उसकी लिखी और निर्देशित फिल्म  (All we imagine as light) खूब limelight बटोर रही है।



चलो देखें  ऐसा क्यों है?
सोशल मीडिया में ऐसा बहुत सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों इतने देर से अर्थात् 30 साल के बाद Cannes Festivals की नज़र में भारतीय फिल्म आयी।

ज्ञात हो कि भारतीय सिनेमा मण्डप ने 1946 में  Cannes Films Festival  में अपनी पहचान एक सामाजिक यथार्थ वादी फिल्म (नीचा नगर ) Grand Prix du Festival International du Film हासिल होने वाली पहली भारतीय फिल्म से अपनी पहचान बनाई।
(नीचा नगर ) का निर्देशन चेतन आनंद ने किया था।


नीचा नगर की कहानी में कैसे एक बड़ा आदमी गरीबों को, एक तरफ गंदे पानी पीने पर मजबूर करता है। गरीब लोग जब बीमार होकर अस्पताल जाते हैं तो वह उन लोगों की मदद करके भगवान का दर्जा पाता है । लेकिन एक चरखा कातने और गांधी टोपी पहनने वाला आदमी उससे भीड़ जाता है।
दूसरी बार 1956 में सत्यजीत राय की 'पाथेर पांचाली' को यह पुरस्कार मिला।



1994  में (स्वाहम) मलयालम फिल्म  Cannes Films Festivals में आमंत्रित किया गया था।
उसके बाद से जैसे सन्नाटा सा छा गया। अब सवाल उठता हैं कि क्या भारतीय फिल्म कान्स महोत्सव में जाने के लायक नहीं थे?
इन तीस सालों के दौरान कितनी अच्छी अच्छी पिक्चर बनी। कितनी संवेदनशील टॉपिक पर पिक्चर बनी।
आगे बढ़ने से पहले पंचतंत्र की एक कथा का जिक्र करना एकदम प्रसंग के अनुकूलन है।
शशक और खरगोश की दौड़।
शशक अर्थात् खरगोश जो बहुत चंचल और र दौड़ने में बहुत  तेज़ होता है। जब वह दौड़ता है तब उसे किसी की परवाह नहीं होता। शिकारी कहां घात लगाए बैठा है उसे नज़र नहीं आता। वह थककर जैसे ही बिल की तरफ जाता है शिकारी उसे दबोच लेता है। इसके विपरीत कछुआ अपने धीमी चाल से चलता है। रास्ते में आशंका देखकर सिमटकर पत्थर बन जाता है।शिकारी की नज़र न आते वह अपने गन्तव्य तक पहुंच  जाता है।
ऐसा नहीं कि Cannes Films Festival  में  भारतीय फिल्म नहीं पहुंचती थी लेकिन किसी का रिकार्ड तोड़ना शायद इतना आसान नहीं था।
इस बार  पायल कपाड़िया ने तीस साल का वह रिकॉर्ड तोड़कर Palm d'or अपने कब्जे में आखिर कर ही लिया।

मुंबई में प्रभा नाम की एक नर्स अपनी दिनचर्या में उथल-पुथल तब मच जाती है जब उसे अपने अलग हुए पति से एक ricecooker उपहार मिलता है। उसकी छोटी रूममेट अनु अपने बॉयफ्रेंड के साथ अंतरंग होने के लिए शहर में जगह खोजने की कोशिश करती है, लेकिन बम्बई जैसे शहर में वह नाकाम रहती है। तमाम उल्झनों के बावजूद वे समुद्र तट पर एक शहर की यात्रा में उन्हें अपनी इच्छाओं को प्रकट करने के लिए एक जगह खोजने का मौका देती है।
शहर की आपाधापी में कैसे तीन महिलाएं संघर्ष करती हुई  सुकून के दो पल की तलाश में रहती है।
ऐसी मार्मिक कहानी Cannes Films Festival  में दिखाने के बाद आठ मिनट तक ताली बजती रही। यही बात फिल्म की सफलता की  सबसे बड़ी उपलब्धि थी।
आशा ने आने वाले दौर में भारतीय मण्डप ऐसे ही मार्मिक फिल्मों को प्रस्तुत करती रहेगी।
इसीलिए कहते हैं__  "अंत भला तो सब भला"।




रविवार, 26 मई 2024

PLANETARY ALIGNMENT-June 2024

 Planetary Alignment अर्थात्  ग्रहों का संरेखण



• संरेखण किसे कहते हैं ?


एक ही रेखा में किसी भी वस्तु  को एक सीधी रेखा में होना या आना। इस प्रक्रिया को संरेखण कहते हैं। अगर गणितीय भाषा में समझें तो किसी भी System चार संरेखण होते हैं।
Left, right ,proper और center.
__जैसे किसी भी गाड़ी का  servicing करने से अंत में उसके पहिये की दूरी का संरेखण (alignments) करते हैं जिससे पहिये का संरेखण ठीक हो और सही दिशा में चले।

__अब जानें ग्रहों का संरेखण क्यों होता है ?
अंतरिक्ष में जो ग्रह (Planet) है सब अलग-अगल गति और दूरी से सूरज की परिक्रमण  करते हैं।
__अंतरिक्ष में 1000 एक अजीब संयोग बनने जा रहा है।
__3 June 2024 को लोग छः ग्रहों को एक Line में देख सकेंगे।


संरेखित ग्रह का नाम इस प्रकार हैं-
1.बुध (Mercury), 2.मंगल (Mars),
3.बृहस्पति (Jupiter), 4.शनि ( Saturn)
5. यूरेनस (Uranus) 6.नेप्च्यून (Neptune)

चित्र: vajiramandravi.com के सौजन्य से

*ज्ञात हो कि ऊँच शक्ति वाली दूरबीन हे ही देखा जा सकता है। वास्तव में ग्रहों का संरेखण अति दूर से एक झिलमिल परिदृश्य है।
अंतरिक्ष में तरह-तरह की धटनाएं धटित होती रहती है।
हम पुराण कथाओं में पढ़ते आए हैं कि फलां ग्रह में ऐसा हुआ, फलां ग्रह मेंज वैसा हुआ। लेकिन अंतरिक्ष का समुचित ज्ञान न होने के कारण हमारे लिए पुराण की कथाएं
महज एक मनोरंन के साधन बनके रह गए हैं।
आज डिज़िटल की क्रांतिकारी युग में हमें Internet के जरिए घर बैठे सब प्रकार का ज्ञान प्राप्त हो जाता है।
मैं नेट ही  https://www.providencejournal.com/digital magazine में पढ़ा था कि 3rd June 2024 को अंतरिक्ष में ग्रहों का संरेखण (Planetary Alignment) होने वाला है।

चूंकि मेरा प्रिय Subject है मैं ने पूरा लेख पढ़ा। लेख बहुत ही दिलचस्प है।
ग्रह संरेखण से संबंधित शिव पुराण में कथा हो-
भगवान शिव का ज्येष्ठ पुत्र  स्वामी कार्तिकेय, तारकासुर नामक राक्षस को वध कर दिया था।
तारकासुर के तीनों पुत्रों  ने प्रण किया कि वे अपने पिता का बदला जरूर लेंगे।
वे एक हज़ार वर्ष तक ब्रम्हा की तपस्या की। ब्रम्हा प्रसन्न होकर उनसे वर मांगने को कहा।
वे अमर होने का वरदान मांगे।ब्रम्हा ने कहा-
"ये प्रकृति के खिलाफ है। तुम लोग कोई और वरदान मांगो।"
तब तीनों भाइयों ने मांगा-
"हमारे लिए अलग-अगल  ग्रहों में एक एक महल बनवाईये। हम उसी में वास करेंगे, लेकिन ग्रह लगातार चलायमान होनी चाहिए। जब एक हज़ार साल बाद हमारे ग्रह का संरेखण होगा तब अगर किसी देवता में सामर्थ्य हो तो वे एक ही बाण से तीनों लोकों को छेद सकते हैं।"
ब्ररहम्हा ने अस्तु कहा और अंतर्धान हो गये।
तीनों भाई बहुत खुश हुए क्यों कि उनकी समझ में यह काम बहुत बड़ा ( task) था और असम्भव था।
ब्रम्हा ने मयदानव को आदेश दिया कि तुम तीनों भाइयों के लिए  अलग-अगल ग्रह में सोने,चांदी और लोहे के महल बनवा दो
मयदानव ने सबसे बड़े (तारकक्ष) के लिए सोने का,
मझले(कमलाक्ष) का चांदी का और सबसे छोटे
(बिद्युन्माली) का लोहे का महल बना दिया।
तीन भाई अपने अपने लोक में रहकर उत्पात मचाने लगे। देवताओं को तरह-तरह के कष्ट पहुँचाते । तीनों लोकों को अपने अधिकार में कर लिये।
देवता हैरार परेशान शिव जी के शरण में गये और अपनी विवशता सुनाए।

शिव जी को ग्रहों के संरेखण का ज्ञान। उन्होंने देवताओं को आश्वासन दिये और निश्चित समय का इंतजार करने लगे।
शिव ने एक दिव्य  रथ का निर्माण किया।रथ की हर एक वस्तु देवताओं से बनी।
सूर्य और चंद्र रथ के पहिये बने।




रथ के घोड़े क्रम से इंद्रदेव, वरुण देव,यमराज, कुबेर बने।
हिमालय धनुष और शेषनाग प्रत्यंचा बने।
शिव स्वयं बाण बने। तीनों भाइयों के साथ  घोर युद्ध हुआ।
आखिर एक तीन तीनों भाइयों का ग्रह एक सीध में रेख में गा गये।
शिव जी ने एक ही बाण से नीनों को छेद दिया।

कभी कभी कहानी-कथा हकीकत की दुनीया से कैसे मेल खाते हैं।
अधिक जानकारी के लिए hindi.webdunia.com  में जाएं।













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Eclipse,EarthDay

Breastfeeding week

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