'‘प्रेम के कुछ बंधन ऐसे भी होते हैं....!
जिससे-
हम प्रेमसूत्र में तो बंधते हैं.....!
यह जाने बगैर कि-
कि हम चाहते क्या है...?
हमरे मन में एक अंधे कुएँ सी-
प्यास जागती है...!!
कितने रिश्ते पनपते हैं उस प्रेम से....
हमारे आस पास....!
हम बांध नहीं पाते हैं जिन्हें...!
वक्त से शिकायत रहती है अक्सर...!
यह जाने बिना कि-
वक्त हमें कितना कुछ दे जाता है...!
बेवफ़ा हम नहीं तो कौन है...?
और...
कितने संवाद करते हैं हम-
अपने मन के खोखले होते खण्डहर से...!
जितना भी हम जियें...!
लम्बी उमर लेकर नहीं..!
खुशानुमा जिंदगी जीकर...!!
Photo:Pinterest
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