वह काली अंधेरी रात कैसे भूल पाऊंगी वह काली अंधेरी रात
एक झटके में___ मानो
जैसे मैं काली ग्ह्वर में समाती चली गयी ।
मैं चीख चीख के कह रही थी __
"मैं अभी जिंदा हूं।
मुझपर रहम करो
मुझे इस ब्लैक होल से बाहर निकालो।
लेकिन किसीने मेरी एक न सुनी।
सब अपना अपना राग अलापते रहे।
सब को अपने मशहूर होने की फ़िक्र थी।
हर कोई बढ़ चढ़ कर अपना प्यार मुझ पर जताता रहा।
लोगों का शोर बढ़ता गया,बढ़ता गया
अंततः, उस शोर में मेरी आवाज़ क्षीण होती गयी।
मुझे मृत घोषित कर दिया गया।
श्वेत फूलों से मुझे ढक दिया गया।
ऐसे कि ___
मेर लहूलुहान जिस्म न दिखे।
आह! ___
मेरी विदाई शोक गान से सबकी आंखें भर आती।
मैं भी रो पड़ी अपनी बेबसी पर
मैं तो जिंदा रहना चाहती थी
अपनों के बीच
अपने बच्चों के बीच
आजीवन प्यार लुटाती हुई।
हवा में फैली खुशबू की तरह।
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