शबरी कौन थी?
आज के संदर्भ में सब जानना हैं कि आखिर शबरी कौन थी और वह राम के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों थी?
वास्तव में शबरी को सबर का पर्याय कहा जाए तो अतिशयोक्ति न होगी।
जिंदगी भर अनदेखे किसी के नाम का जाप करना और उसकी प्रतिक्षा करना श्रद्धा और और प्रेम की पराकाष्ठा ही तो है।
शबरी भीलनी होते हुए दयालु थी। वह भीलों के सरदार की बेटी थी।उसका असली नाम श्रमणा थी।
कहते हैं कि वह अपने पूर्व जन्म में शापित थी और उस शाप से राम ही उसको मुक्ति दिला सकते थे
वह मातंग ॠषि की बहुत सेवा की थी। मातंग ऋषि दिवंगत होने से पहले शबरी को अपने आश्रम में रहने की अनुमति दे दी थी और कहा था ___
" शबरी तुम यही कुटिया में रहना। इसी मार्ग से राम लक्षमण गुजरेंगे। तुम उनका स् स्वागत करना। तुम्हारा कल्याण होगा। तभी से शबरी राम की राह निहारती है।
कभी रास्तों को फूलों से सजाती है तो कभी बेर चक चक कर राम के ल रखती है।